








जयपुर Abhayindia.com मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि यमुना जल समझौता राजस्थान के शेखावाटी अंचल में पर्याप्त जल उपलब्धता की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। इसके धरातल पर उतरने के बाद इस क्षेत्र को पेयजल एवं सिंचाई हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध होगा और जल की समस्या का स्थाई समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि इसके प्रथम चरण में राज्य के सीकर, चूरू, झुंझुनंू और अन्य क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति एवं अन्य आवश्यकता हेतु जल उपलब्ध हो सकेगा। इसके द्वितीय चरण में चूरू एवं झुंझुनंू जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
शर्मा रविवार को पिलानी स्थित केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान में यमुना जल समझौते की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यमुना जल समझौते के तहत ताजे वाला हेड (हथिनीकुण्ड बैराज) से यमुनाजल लाने हेतु प्रवाह प्रणाली कार्य योजना की प्रभावी मॉनिटरिंग एवं त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार गम्भीर है एवं इसी क्रम में जल संसाधन विभाग द्वारा अलग से अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता, यमुना जल का नवीन पद सृजित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के क्रियान्वयन हेतु संसाधनों की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समझौते को मूर्त रूप देने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट मिशन मोड पर कार्य करते हुए शीघ्र तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि परियोजना के कार्यों में विश्व स्तरीय मापदंड अपनाए जाएं। इस हेतु उच्चस्थ तकनीकी संस्थाओं जैसे बिट्स पिलानी, आईआईटी का सहयोग भी लिया जाए।
शर्मा ने कहा कि बेहतर कार्य योजना एवं आपसी सहयोग और समन्वय के साथ डीपीआर बनाने के कार्य को शीघ्र पूरा किया जाए। बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि हरियाणा व राजस्थान की टास्क फोर्स की प्रथम संयुक्त बैठक गत 07 अप्रेल को यमुनानगर (हरियाणा) में आयोजित हुई जिसमें अलाईनमेंट के क्रम में वास्तविक धरातलीय परीक्षण किये जाने पर प्राथमिक चर्चा हुई तथा हथिनी कुंड बैराज से यमुना जल लाने के लिए प्रवाह प्रणाली के 4 उपलब्ध विकल्पों की समीक्षा की गई। इनमें से केंद्र जल आयोग द्वारा सुझाया गया 253 किलोमीटर लंबी 3 पाईपलाईन का विकल्प सर्वश्रेष्ठ माना गया। इसका धरातलीय परीक्षण हरियाणा के अधिकारियों के सहयोग से किया जाएगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 19 हजार करोड़ रुपये होगी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1994 में राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं नई दिल्ली के बीच हुए यमुना जल समझौते के अन्तर्गत ताजेवाला हैड (हथिनीकुण्ड बैराज) पर मानसून अवधि (जुलाई से अक्टूबर) में 1917 क्यूसेक (वार्षिक 577 एम.सी.एम.) जल राजस्थान को आवंटित किया गया था। लेकिन आवंटित जल को राजस्थान लाने के लिए 30 वर्षों से गतिरोध बना हुआ था। सीकर, झुंझुनुं एवं चुरू जिलों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करने की दिशा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के अथक प्रयासों, केन्द्र सरकार के सकारात्मक सहयोग व केन्द्रीय जल आयोग के हस्तक्षेप के फलस्वरूप यह गतिरोध दूर हुआ एवं 17 फरवरी, 2024 को राजस्थान व हरियाणा के मुख्यमन्त्रियों एवं केन्द्रीय जलशक्ति मन्त्री की उपस्थिति में समझौता हुआ।
बैठक में जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत, नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) झाबर सिंह खर्रा सहित अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार, हरियाणा से मुख्य अभियंता यमुना, हथिनी कुंड बैराज के अधीक्षण अभियंता, हिसार के अधीक्षण अभियंता सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।





