










बीकानेर abhayindia.com ‘पूजण दो गणगौर, भंवर म्हानें खेलळ दो गणगौर…म्हारी सहेलियां जोवे बाट…गगनकोटो सूं गवरल उतरी रे…सरीखे गीतों के स्वर इन दिनों फिजाओं में गूंज रहे हैं।
बालि गणगौर पूजन की शहर में धूम है। आज शीतलाष्टमी के अवसर पर सूरसागर के समीप स्थित करणीमाता मंदिर परिसर में महिलाओं और बालिकाओं ने गणगौर का बिन्दोला निकाला। इसमें बालिकाओं ने छोटे बच्चों को दूल्हा-दुल्हन बनाकर सजीव झांकी निकाली। पार्क में गण्गौर की प्रतिमा को घुमाकर गणगौर गीत गाए। ढोल-ताशों पर झूमती बालिकाओं में गणगौर पूजन को लेकर काफी उत्साह था।
पार्क में मिट्टी एकत्रित कर रही एक बालिका ने बताया कि पार्क से मिटï्टी ले जाकर वे गणगौर की प्रतिमाएं बनाएगी। फिर आठ दिनों तक उसका पूजन करेगी। अंतिम दिन विसर्जन होगा। बालिकाओं ने बताया कि गणगौर का पूजन अच्छे घर और वर की कामना के लिए करते है। वहीं विवाहिता महिलाएं परिवार में सुख समृद्धि व खुशहाली के लिए गणगौर का पूजन करती है। बिन्दोला निकालने की परम्परा भी प्राचीन है।
धुलंडी से शुरू हुआ पूजन…
धुलंडी के दिन से बालि गणगौर का पूजन शुरू हो गया था। यह एक पखवाड़ेे तक चलता है। इसके बाद विवाहित महिलाएं धींगा गणगौर का पूजन करेगी। इन दिनों भीतरी परकोटा क्षेत्र में पुरुष मंडलियां गणगौर को गीतों से रिझा रहे हैं।





