जयपुर Abhayindia.com राज्य सरकार ने अब राज्य के सभी करीब साढ़े 8 लाख कर्मचारियों के लिये अचल संपत्ति का विवरण (Property Details) देना अनिवार्य कर दिया है। आपको बता दें कि पहले केवल राजपत्रित अधिकारियों के लिये ही प्रोपर्टी डिक्लरेशन अनिवार्य था, लेकिन अब इनमें टॉप ब्यूरोक्रेट्स से लेकर पिऑन तक सभी शामिल होंगे। प्रदेश के कर्मचारियों को 31 अगस्त तक अनिवार्य रूप से अपनी-अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होगा। अचल संपत्ति को विवरण नहीं देने पर कार्मिक का वार्षिक इंक्रीमेंट एवं प्रमोशन प्रभावित हो सकता है। कर्मचारियों को 1 जनवरी 2021 की स्थिति में अपनी अचल संपत्ति का विवरण देना होगा।
कार्मिक विभाग के मुताबिक, यह आदेश राज्य सरकार के सभी नियंत्रित बोर्ड, निगम, स्वायत्तशासी संस्थाओं और राजकीय उपक्रमों पर लागू होंगे। राजपत्रित अधिकारियों की भांति अचल संपत्ति का वर्तमान मूल्य का आधार डीएलसी दर के अनुसार किया जाना है। प्रदेश के कार्मिक विभाग ने सभी विभागों के प्रमुखों को निर्देश दिया है कि वे अपने अधीनस्थ कार्मिकों को अचल संपत्ति का विवरण देने के लिए निर्देशित करें। कर्मचारियों को राजकाज सॉफ्टवेयर पर इसका संपूर्ण ब्यौरा देना होगा। इसके लिये वे इस अवधि में ऑनलाइन आईपीआर भर सकेंगे। नये नियम के तहत जो कर्मचारियों अपनी अचल संपत्ति का विवरण नहीं देंगे उनके वार्षिक इंक्रीमेंट, विजिलेंस क्लीयरेंस, और पदोन्नति पर विचार नहीं किया जाएगा।
आपको बता दें कि इससे पहले पिछली वसुंधरा सरकार में सिर्फ राजपत्रित अधिकारियों को ही अपनी अचल संपत्ति का विवरण देना होता था। लेकिन, राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद गहलोत सरकार ने सभी राजकीय कर्मचारियों को अचल संपत्ति का विवरण देने के दायरे में ला दिया।
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