जयपुर Abhayindia.com प्रदेश में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा में भी अंदरुनी खींचतान गहरा रही है। ताजा मामला भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के 22 साल पुराने एक पत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने से जुडा है। तीन पेज के इस इस्तीफे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे। आपको बता दें कि इस पत्र में पूनिया की ओर से तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को भाजयुमो प्रदेशाध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा भेजे जाने का ज़िक्र है। तब पूनिया ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बार-बार टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर जुलाई 1999 में इस्तीफा दे दिया था।
पूनिया ने पत्र में लिखा था कि मैंने पार्टी में अपनी क्षमता के अनुसार काम किया। मगर संसदीय राजनीति में पार्टी ने मेरी घोर उपेक्षा की है। उन लोगों को ज्यादा तवज्जो मिलती गई जो परंपरागत रूप से इस विचारधारा के विरोधी रहे हैं। मैं बुरे दिनों में पार्टी के साथ रहा और पार्टी के अच्छे दिनों में जिम्मेदारी छोड़ रहा हूं। उस समय पूनिया का इस्तीफा मंजूर हो गया था।
पूनिया ने पत्र में रामसिंह कस्वां को निशाना साधते हुए पूछा कि आखिर कस्वां ही पार्टी की पसंद किस दबाव में बने रहे? 1993 में सादुलपुर विधानसभा चुनावों में कस्वां की पत्नी हारी। 1996 में चूरू लोकसभा, 1996 में सरदारशहर का उपचुनाव और 1998 में लोकसभा चुनाव कस्वां ने हारा। इसके बाद भी कस्वां लड़ते रहे और मेरी उपेक्षा होती गई।
आपको यह भी बता दें कि 22 साल पुराने लेटर के वायरल होने के बाद प्रदेशाध्यक्ष पूनिया ने आज एक ट्वीट करते हुए कहा, ’22 वर्ष पुराना पत्र इस समय जारी होना अजब सियासत की ग़ज़ब कहानी है। फिर भी मैं तब भी कार्यकर्ताओं के साथ था अब भी साधारण कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधि हूँ। इस लेटर को अब सामने लाने के पीछे सियासी षड्यंत्र है।
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