बीकानेर Abhayindia.com देवी पार्वती के गणगौर स्वरूप, भगवान शिव के ईसर तथा भगवान गणपति के रूप में भाइये का पूजन सोमवार को झोपड़ी से लेकर महल तक हुआ। शहर का पूर्ण वातावरण गणगौरमय रहा। जूनागढ़ से शाही लवाजमे के साथ गणगौर की सवारी तथा ढढ्डों के चौक में चांदमल ढढ्डा की बेस कीमती आभूषणों का श्रृंगार किए हुए गणगौर निकली। अनेक स्थानों पर मेले लगे। बालिकाओं ने विभिन्न स्थानों पर प्राचीन कुओं के पास गणगौर पूजन की सामग्री, घूड़ला तथा शीतला सप्तमी व अष्टमी को बोए गेहूं के जंवारों को गणगौर पूजन में उपयोग लेकर विसर्जन किया।
मंगलवार को भी विभिन्न स्थानों पर मेले भरेंगे तथा गणगौर पूजन सामग्री का विसर्जन किया जाएगा। चौतीना कुआं से कोटगेट के प्रतीक रूप में गणगौरों की दौड़ होगी। जस्सूसर गेट के मोहता कुआं, नया कुआं, चौतीना कुआं, गंगाशहर, भीनासर सहित विभिन्न स्थानों पर पारम्परिक विदाई गीत गाते हुए, डीजे व ढोल के साथ नृत्य करते हुए गणगौर पूजन सामग्री का विसर्जन किया। मेला स्थलों पर लगी खान पान की वस्तुओं, झूलों का महिलाओं व बालिकाओं ने खूब आनंद लिया। सर्वाधिक भीड़ जस्सूसर गेट के अंदर रही।
घर-घर पूजन
हर घर में सुखमय व मंगलमय जीवन की कामना को लेकर गणगौर, ईसर व भाइए की प्रतिमाओं के आभूषणों व वस्त्रों का श्रृंगार कर पूजन किया। गणगौर के पारम्परिक रूप् से गेहूं, बाजरी, बेसन के बनाएं गए ढोकलों और फोगले के रायते का भोग लगाया। गीत गाए तथा परिवार में सुख–समृद्धि की कामना की।
चांदमल ढढ्डा की गणगौर
पैरों वाली चांदमल ढढ्डा की गणगौर ने नख से सिख तक बेशकीमती आभूषणों का श्रृंगार किया हुआ था। आयोजन से जुड़े यशवंत कोठारी ने बताया कि पुत्र कामना का पूर्ण करने वाली गणगौर माता का श्रृंगार विनोद नाहटा व मन मोहन सेवग ने किया। स्वर्गीय चांदमल ढढ्डा के वंशज नरेन्द्र कुमार ढढ्डा सपरिवार सूरत से बीकानेर आएं। मेला मंगलवार को सुबह नौ बजे आरती व भोग के बाद शुरू होगा जो रात साढ़े दस ग्यारह बजे तक चलेगा। गणगौर के आगे पुत्र सहित विभिन्न कामना को लेकर विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं ने नृत्य किया। रिपोर्ट : शिव कुमार सोनी, वरिष्ठ सांस्कृतिक मीडियाकर्मी