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नई दिल्ली Abhayindia.com प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वाधीनता दिवस पर सोमवार को लाल किले की प्राचीर से 9वीं बार राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, आत्मनिर्भर भारत सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने आजादी के 75 साल बाद तिरंगे को सलामी देने वाले तोप का भी विशेष जिक्र किया।
मोदी के भाषण की प्रमुख बातें…
मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। हमारे देशवासियों ने भी उपलब्धियां की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है और संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है।
अमृतकाल का पहला प्रभात Aspirational Society की आकांक्षा को पूरा करने का सुनहरा अवसर है। हमारे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है। उन्होंने कहा कि आज का ये दिवस, ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है। दुनिया आज भारत को गर्व, आशा और समस्या समाधान के रूप में देखती है। दुनिया भारत को एक ऐसे गंतव्य के रूप में देखती है जहां आकांक्षाएं पूरी होती हैं। आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जो जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है। इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है।
मोदी ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा आधार, मोबाइल जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं का उपयोग करते हुए, गलत हाथों में जाने वाले 2 लाख करोड़ रुपये को बचाकर उन्हें देश की भलाई में लगाने में हम कामयाब हुए हैं।
पीएम मोदी कहा कि हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।
अमृत काल के पंच-प्रण
पहला प्रण – विकसित भारत का लक्ष्य
दूसरा प्रण – गुलामी के हर अंश से मुक्ति
तीसरा प्रण – अपनी विरासत पर गर्व
चौथा प्रण – एकता और एकजुटता
पांचवां प्रण – नागरिकों में कर्तव्य की भावना
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