Wednesday, April 23, 2025
Hometrendingराजस्थानी संस्कृति की अलग ही परम्परा...

राजस्थानी संस्कृति की अलग ही परम्परा…

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर abhayindia.com यूके गैलक्सी ऑफ स्टार में राजस्थानी कवि सम्मेलनन आयोजित किया गया। इस मौके पर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एच.डी चारण ने कहा कि राजस्थानी साहित्य और संस्कृति की अपनी अलग ही एक परंपरा हैं इसका ऐतिहासिक आकलन जितना किया जाए उतना ही कम है।

यही कारण है कि राजस्थानी साहित्य राजस्थानी कवियों की पहली पसंद है। यह हमें हमारी परंपरा से जुडऩे का मौका प्रदान करती है और काव्य रस की असीम अनुभूति प्रदान करती है। राजस्थानी काव्य की समृद्धशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि हर राजस्थानी इस काव्य का मुरीद है। उन्होंने शिक्षा और साहित्य का गठजोड़ बताते हुए कहा कि हर शिक्षा साहित्य की उपज है और इसे आगे बढ़ाना होगा।

नव वर्ष के अवसर पर ऑनलाइन राजस्थानी कवि सम्मेलन में राजस्थानी भाषा संस्कृति साहित्य और परंपरा से जुड़े सभी कवियों ने सभी रसों से अलंकृत अपनी कविताएँ ,गीत, गज़़ल , छंद,मुक्तक आदि प्रस्तुत किए, कार्यक्रम में राजेन्द्र रतनू, ओंकार सिंह लखाव, भगवान लाल सोनी अतिथि के रूप में शामिल हुए।

Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular