










पूजा मुहूर्त : दीपावली के दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मीजी की पूजा होती है। मान्यता यह है कि इस समय लक्ष्मीजी की पूजा करने से मनुष्य को कभी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : 17.57 से 19.53
प्रदोष काल :17.27 से 20.06
वृषभ काल :17.57 से 19.53
अमावस्या तिथि आरंभ : 22.27 (06 नवंबर)
अमावस्या तिथि समाप्त : 21.31 (07 नवंबर)
पूजन के लिए आवश्यक सामग्री
दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान–सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी–गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए।
ऐसे करें पूजा…
स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवी–देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
शाम के समय पूजा घर में लक्ष्मीजी और गणेशजी की नई मूर्तियों को एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर स्थापित करना चाहिए।
मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए। इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना चाहिए।
अब फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि–विधान से लक्ष्मीजी और गणेशजी की पूजा करनी चाहिए।
इनके साथ–साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 11 छोटे दीप और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए।





