बीकानेर abhayindia.com शहर में पिछले सप्ताह तक ज्यादातर लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं ले रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमितों का ग्राफ बढने के साथ ही लोगों मेंं अब लॉकडाउन और कर्फ्यू की अहमियत समझ आ रही है। शहर के कर्फ्यूग्रस्त इलाकों समेत समूचे जिले में अब लॉकडाउन का असर दिखने लगा है।
कोरोना से घबराये लोग अब घरों में दुबकने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। अब आवश्यक वस्तुओं की दुकानें बंद होने के बाद बाजार में बिना वजह निकलने वाले लोगों की संख्या कम हो रही है। पेट्रोल-डीजल केवल आवश्यक सेवाओं में लगे व्यक्तियों तक सीमित करने से भी कुछ असर आया है।
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पिछले तीन दिनों से चौराहे सन्नाटे में डूबे हुए है। सायरन बजाती घूम रही पुलिस की गाडिय़ों के अलावा इक्केे-दुक्के वाहनों की आवाजाही नजर आ रही है। वहीं पुलिस ने भी अब खासी सख्ती बढा दी है। कर्फ्यू ग्रस्त इलाकों से जुड़ी सड़कों पर बेरिकेटिंग कर दी थी। चौराहे से गुजरने वाले हर व्यक्ति से पूछताछ हो रही है, संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उनको घरों में भी भेजा जा रहा है। अभय कमांंड सेंटर से जुड़े सीसीटीवी कैमरों से शहरभर की निगरानी की जा रही है।
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हाइवे पर दूर तक नहीं दिखते वाहन, टोल नाके सूने : लॉकडाउन व कर्फ्यू की वजह से शहर के गली-मोहल्ले और कॉलोनियां ही नहीं अपितु हाइवे भी अछूते नहीं हैं। पिछले 17 दिनों से जिले के तमाम हाइवे सूने पड़े है, दूर-दूर तक कोई वाहन तक दिखाई नहीं देता है। टोलनाकों पर भी सन्नाटा सा पसरा है। वहां न तो कोई कर्मचारी दिखाई दिया और न ही कोई सुरक्षाकर्मी। सरकार ने टोल नाकों से वाहनों की आवाजाही को मुक्त कर रखा है। नाके पर सिर्फ लाल व हरी लाइट लगा रखी है। ऐसे में टोल वसूली न होने से इक्का-दुक्का वाहन सरपट निकल रहे थे।
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शहर से हाईवे तक जगह-जगह पर नाके लगाकर पुलिस निगरानी रखे हुए है। सोमवार सुबह बीकानेर-श्रीगंगानगर हाईवे का जायजा लिया तो अति आवश्यक सेवा वाली वस्तुओं के परिवहन में लगे एक-दो ट्रक व ट्रेलर अवश्य दौड़ते नजर आए। हाईवे के किनारे वाले गांवों में भी लॉकडाउन का पूरा असर नजर आया। इक्का-दुक्का दुकानों को छोड़ पूरे बाजार बंद दिखाई दिए। लॉकडाउन का पालन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि बाजार, दुकानें और वाहनों की आवाजाही पहली बार पूरी तरह बंद देखी। ऐसा सूनापन कभी दिखाई नहीं दिया।