सुरेश बोड़ा/जयपुर/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के अहम् प्रोजेक्ट ‘शक्ति’ ने प्रदेशभर में कांग्रेस नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में इस प्रोजेट के तहत एक लाख लोगों को जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रोजेक्ट की लॉंचिंग गत आठ मार्च को की गई थी और अंतिम तिथि 31 मार्च है। इससे ठीक एक दिन पहले विभिन्न जिलों में प्रोजेक्ट के तहत व्यक्तियों को जोडऩे के लिए नेताओं में भागम-भाग मची रही। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी और इस प्रोजेक्ट से जुड़े पदाधिकारी जिलेवार जुड़े व्यक्तियों की संख्या का आंकड़ा जुटाने में व्यस्त रहे।
पार्टी सूत्रों से पता चला है कि इस प्रोजेक्ट के तहत कई जगहों पर निर्धारित लक्ष्य से कम व्यक्ति जोड़े जा सके हैं। ऐसे जिलों में पार्टी के पदाधिकारियों को खरी-खोटी भी सुननी पड़ रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत बूथस्तर तक के कार्यकर्ता को सीधे राहुल गांधी से जोडऩे की कवायद हो रही है। इसके अंतर्गत जुडऩे वाले व्यक्ति की वोटर आईडी, आधार नंबर और मोबाइल नंबर मांगे जा रहे हैं। ये दस्तावेज होने पर ही प्रोजेक्ट के अमुक नंबर पर एसएमएस किया जा सकता है। वोटर आईडी को लेकर शहरी क्षेत्रों में तो पार्टी को हालांकि ज्यादा दिक्कत नहीं आ रही, लेकिन देहात क्षेत्रों में वोटर आईडी कइयों के पास नहीं मिलने से पार्टी के पदाधिकारी निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहे।
इस प्रोजेक्ट के तहत कार्यकर्ताओं को जोडऩे के लिए कई जिलों में तो आखिरी दो दिनों में आनन-फानन में कैम्प लगाए जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं से जरूरी सर्टिफिकेट मंगवाकर एसएमएस कराए जा रहे हैं। इस समूची कवायद में वे नेता गर्मजोशी से जुड़े हैं जो आगामी विधानसभा चुनाव में खुद को टिकट का दावेदार मान रहे हैं। पीसीसी के पदाधिकारी भी ऐसे दावेदारों को लक्ष्य पूरा करने के लिए सख्त निर्देश दे रहे हैं।
इधर, लक्ष्य को लेकर असमंजस
शक्ति प्रोजेक्ट के तहत बीकानेर में शहर और देहात संगठन को मिले लक्ष्य को पूरा करने के मसले को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बीकानेर शहर से ढाई हजार कार्यकर्ताओं को जोडऩे का लक्ष्य मिला था, लेकिन शुक्रवार तक यह पूरा नहीं हो सका। पीसीसी सूत्रों के अनुसार बीकानेर शहर से करीब साढ़े तीन सौ कार्यकर्ता ही जुड़े हैं। जबकि शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत ने ‘अभय इंडिया’ से बातचीत में दावा किया है कि हमने ढाई हजार के लक्ष्य से ज्यादा तीन हजार कार्यकर्ताओं को इस प्रोजेक्ट के तहत जोड़ दिया है। इसकी सूची हम पीसीसी अंतिम तिथि 31 मार्च तक भेज देंगे। साढ़े तीन सौ कार्यकर्ताओं के ही जुडऩे की बात पर शहर कांग्रेस अध्यक्ष गहलोत ने कहा कि आंकड़ों का यह फर्क तकनीकी कारणों से आ गया है, इसे दूर कर लिया जाएगा। बहरहाल, शक्ति प्रोजेक्ट के चलते प्रदेश के कई जिलों में कांग्रेस के पदाधिकारियों की नींद हराम हो गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि लक्ष्य हासिल करने में कौन सफल हो पाता है और कौन फेल?