










बीकानेर.Abhayindia.com कोरोना संक्रमण ने जन-जीवन को पूरी तरह से झकझोर दिया है। कोरोना महामारी के दौर में लॉकडाउन की स्थिति में उद्योग-धंधों, निजी कंपनियों, छोटे-बड़े व्यापारियों हर किसी पर विपरित असर रहा, लेकिन लॉकडाउन ने रोजी-रोटी के लिए नए विकल्प भी पैदा किए।
तलाश लिए नए विकल्प
लोगों ने अपना स्थायी व्यापार छोड़कर कोरोना काल के लिहाज से रोजगार के नए विकल्प तलाश लिए। महानगरों से लेकर छोटे कस्बों तक में व्यापार प्रभावित हुए। कई बड़ी कंपनियों की स्थिति खराब हो गई, तो उसका खमियाजा कार्मिकों को भुगतना पड़ा।
कोई सब्जी, तो कोई भुजिया…
कोरोना काल में लोग अपना स्थायी व पारम्परिक काम छोड़ लोग रोजी-रोजी का जुगाड़ करने के लिए भुजिया, सब्ज, मिठाई सरीखे छोटे-बड़े व्यापार करने लगे। बीकानेर में कइयों ने अपने काम बदले, बीकानेरी नमकीन विश्व प्रसिद्ध है, तो बड़ी संख्या में लेगों ने भुजियों का व्यापार शुरू कर दिया।
यह वो लोग थे जो असल मायने में किसी अन्य व्यवसाय से ताल्लुख रखते हैं, लेकिन महामारी और लॉकडाउन के दौरान उपजे मंदी के दौर में व्यवसाय की धारा बदल ली। कई लोगों ने सब्जी का काम शुरू कर लिया, तो कोई मिठाई के व्यापार में भाग्य आजमा रहा है।
इसलिए बदलना पड़ा काम…
लोगों ने बताया कि परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें काम बदलना पड़ा। उदासर के राजू ने बताया कि पहले तो वो बाइक मरम्मत का कार्य करता था, लेकिन लॉकडाउन में काम बंद रहने के कारण उसे सब्जी की दुकान खोलनी पड़ी। इस तरह के लोगों की फेहरिस्त लंबी है।
अब दूध-दही..
नोखा रोड के सुखीदास ने बताया पहले वो ऑटो चलाकर गुजर-बसर करता था, अब दूध-दही सहित जनरल आइटम बेचकर रोजी-रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं। पवनपुरी के राजेश्वर ने लकड़ी का काम बंद कर मिठाई-नमकीन का व्यवसाय शुरू किया है।
लगानी पड़ी सब्जी…
लॉकडाउन में लकड़ी का काम बंद हो गया था, तो व्यवसाय बदलना पड़ा। पंचर निकालने वाले सूरज ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उसकी सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने लगा, तो सब्जी की थड़ी लगानी पड़ी।
BY-Ramesh Bissa





