Monday, November 18, 2024
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सावधान! कभी भी हो सकता है पुलिस थाने का स्टिंग ऑपरेशन

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जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश में अब पुलिस थानों के स्टाफ को बेहद चौकन्ना रहने की जरूरत है। अब कभी उनका थाना स्टिंग ऑपरेशन की जद में आ सकता है। ये ऑपरेशन महकमे के ही अधिकारी करेंगे। राजस्थान पुलिस मुख्यालय की ओर से भी जिला पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि वह अपने क्षेत्राधिकार के पुलिस थानों में महीने में कम से कम एक बार स्टिंग ऑपरेशन करें। आपको बता दें कि ये निर्देश पुलिस मुख्यालय की ओर से पांच जनवरी को सात थानों में किए गए स्टिंग ऑपरेशन में सामने आई स्थिति के बाद दिए गए हैं।

राजस्थान पुलिस मुख्यालय की सतर्कता शाखा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि थानों पर आने वाले पीडि़तों के साथ उचित व्यवहार व एफआइआर दर्ज करने, दी गई रिपोर्ट पर निर्धारित प्रावधानों के अनुसार समय पर कार्रवाई के मामलों में शिकायतें आ रही हैं। इसे देखते हुए सतर्कता शाखा द्वारा पांच जनवरी को किए गए स्टिंग ऑपरेशन की तर्ज पर सभी पुलिस अधीक्षकों को अपने क्षेत्राधिकार के पुलिस थानों में महीने में कम से कम एक बार स्टिंग ऑपरेशन करना है।

जानकारी में रहे कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग के निर्देश पर मुख्यालय की सतर्कता शाखा ने पांच जनवरी को राजस्थान के सात थानों में एक साथ स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें सतर्कता दल के लोगों को ही पीडि़त बनाकर वाहन चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए भेजा गया था। इस कार्रवाई का उद्देश्य यह जानना था कि थानों में लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर किस तरह की समस्याएं सामने आती हैं। इसका सात थानों में परीक्षण किया गया। पांच थाने ऐसे थे, जहां वाहन चोरी की एफआइआर दर्ज करने में टालमटोल की गई। एक जगह तो पीडि़त बनकर गए सतर्कता दल के साथ थानाधिकारी ने बहुत ही गलत व्यवहार किया। इस थाना अधिकारी को पद से हटा भी दिया गया है।

उचित व्यवहार के निर्देश

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सतर्कता) गोविंद गुप्ता ने बताया कि अब सभी रेंज महानिरीक्षक, पुलिस आयुक्त तथा जिला पुलिस अधीक्षकों व पुलिस उपायुक्तों को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में महीने में कम से कम एक बार आवश्यक रूप से स्टिंग ऑपरेशन कराने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि संज्ञेय अपराध की सूचना प्राप्त होने के बाद उसकी रिपोर्ट दर्ज करना जरूरी है।

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