कोलकाता. ‘इसकी कुंडली में षडाष्टक योग है… तो इसके लिए क्या उपाय करना होगा.. पूजन अभिषेक… ओह… रंगो जी… कद आ गया…। यह संवाद चल रहा है कोलकाता की लोकप्रिय “कलाकार स्ट्रीट” में। यहां बीकानेरी माहौल की तरह लोग बैठे देर रात तक आपस में कई तरह के विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। यह शुद्ध रूप से बीकानेर की पाटा संस्कृति को साकार करने वाला दृश्य है।
बीकानेर शहर की पाटा संस्कृति विश्व प्रसिद्ध है, वहीं कोलकाता शहर के बड़ा बाजार क्षेत्र में भी बीकानेर मूल के प्रवासी बड़ी संख्या में रहते हैं। यहां सभी रीति-रिवाज, तीज-त्यौहार बीकानेरी परंपरा के अनुसार निभाए और मनाए जाते हैं। खास बात यह है कि बीकानेर के पाटों पर लगने वाली जाजम पर हर क्षेत्र की चर्चा होती है। खेल, राजनीति, सामाजिक और धार्मिक से लेकर विश्व स्तर की राजनीति की चर्चाएं पाटों पर ही होती है। इसी तर्ज पर कोलकाता के कलाकार स्ट्रीट में भी देर रात तक लोगों का जमघट रहता है। यहां पर भी सभी तरह की चर्चाएं होती हैं।
“कलाकार स्ट्रीट” में भी लोग आपस में बातचीत अलग-अलग विषयों पर मुखर होकर करते हैं। बिना किसी पार्टी पॉलिटिक्स के सभी लोग एक साथ बैठकर सामूहिक रूप से चाय-नाश्ता सहित रात को भी स्वच्छ चर्चा के साथ खाने-पीने का भी लुत्फ उठाते हैं।
बीकानेर से पहुंचने वाले लोग उन्हें इस तरह से देर रात तक चर्चा करते देख अचंभित रहते हैं। बीकानेरी लोगों को अपने पुराने शहर भीतरी परकोटे की याद वहां पर ताजा होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि वहां बीकानेर में हर गली मोहल्ले चौक में बड़े-बड़े पाटे लगे हुए हैं और यहां पर कुर्सियों पर या कोई अन्य साधन पर बैठकर भी लोग अपनी शहर की तरह चर्चा संवाद आपस में करते हैं। यहां पाटेबाजी रात को 9 से 10 बजे के बाद शुरू होती है, जो देर रात तक चलती है। बीच-बीच में ही चटपटी नमकीन और चाय की चुस्कियां के साथ लोग अपनी बात को रखते हैं। विषय बदलते जाते हैं। रात भले ही गहराती जाए, पाटा फिर भी आबाद रहता है।
कोलकाता से रिपोर्ट : नारायणदास भूतड़ा/रमेश बिस्सा
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