सुरेश बोड़ा/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। दुनियाभर में अपने स्वाद के लिए मशहूर बीकानेरी भुजिया आने वाले दिनों में आम आदमी की थाली से गायब हो जाएगा, क्योंकि भुजिया बनाने वाले कारीगर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले तीन दिनों से धरने पर बैठे हैं। इसके चलते कारखानों में भट्टियां शांत पड़ी है। फिलहाल बाजार में भुजिया का पुराना स्टॉक पड़ा है। ताजा भुजिया नहीं बनने से आने वाले दिनों में बाजार में भी इनकी परातें खाली होने की आशंका है।
जिलाध्यक्ष विजय सिंह राठौड़ ने बताया कि गुरूवार को तीसरे दिन भी धरना जारी रहा। धरना स्थल पर जिले के भुजिया श्रमिकों की बैठक हुई। इसमें हुए निर्णय के अनुसार जब तक मांगें नहीं मानी जाएगी वे काम पर नहीं लौटेंगे। उन्होंने बताया कि तीन दिनों से भरी तपन में धरने पर बैठे श्रमिकों की मांग नहीं सुन नियोजक हठधर्मिता का परिचय दे रहे है। जिसके चलते भुजिया श्रमिकों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। दिन भर मजदूरी कर अपना घर चलाने वाले श्रमिकों को यहां धरना देना पड़ रहा है और नियोजक अपनी मनमानी पर अड़े है।
श्रमिक नेता गौरीशंकर व्यास ने कहा कि भुजिया नियोजकों ने डेढ़ वर्ष पूर्व भुजिया श्रमिकों को बेवकूफ बनाकर हड़ताल खत्म करवा दी और तय समझौते की अनुपालना नहीं की, जो कि न्यायोचित नहीं है। महामंत्री भुजिया श्रमिकों ने मजदूरी पुनरीक्षा करने और पीएफ तथा ईएसआई के प्रावधान करने की बात कही थी, लेकिन उसकी पालना नहीं होने से भुजिया कारीगरों में रोष व्याप्त हो रहा है।
धरनास्थल पर उग्रसेन, देवीसिंह, गोपसिंह, गिरधारीलाल, कानीराम, पप्पूराम, नरसीराम, कालूराम, भवानी सिंह, नरपत सिंह सहित बड़ी संख्या में भुजिया कारीगरों ने भी नियोजकों और श्रम विभाग से मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की मांग की।