मुकेश पूनिया/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। ग्रामीण विकास और पंचायतराज विभाग के अफसरों के लचर रवैये के चलते बीकानेर जिला पिछले दो सालों में प्रधानमंत्री आवास योजना में लगातार पिछड़ रहा है। योजना के तहत दो सालों में जिले के गांवों में कुल १६ हजार ९४८ आवास बनने थे, लेकिन अभी तक यह आंकड़ा ११ हजार ८३८ तक ही पहुंच पाया है। आवास बनाने का लक्ष्य पूरा करने के लिये महज पौने तीन माह की बाकी है, ऐसे में लगता नहीं कि है ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के अफसर पौने तीन माह में ५११० प्रधानमंत्री आवास पाएंगे।
जानकारी में रहे कि जिले में यह आवास अक्टूबर 2018 तक पूर्ण करने थे, लेकिन चुनावी साल के बावजूद विभाग के जिले से लेकर पंचायत समिति और ग्राम पंचायत स्तर तक के अधिकारी लापरवाह रहे। आला अफसरों के बार-बार निर्देश के बाद भी जिला स्तरीय अफसरों ने काम की गति नहीं बढ़ाई। इसके चलते संपूर्ण १६९४८ आवास अभी तक पूर्ण नहीं हो सके हैं। अब केन्द्र सरकार ने विभाग पर दबाव बनाया है तो अफसरों में हलचल सी मची हुई है।
इस संबंध में प्रमुख सचिव राजेश्वर सिंह ने संबंधित जिलों के कलक्टर को पत्र लिखकर सभी स्वीकृत और प्रगतिरत आवासों को 31 जनवरी तक पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं। बीकानेर में अफसरों के समक्ष 31 जनवरी तक ५११० आवास निर्माण करने की चुनौती है। गौरतलब है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना अन्तर्गत स्थाई वरीयता सूची के अलावा पात्र परिवारों को शामिल करने के लिए सर्वे कराया था। इसके तहत सभी जिलों में वंचित परिवार भी चिह्नित कर बेघर परिवारों को आवास योजना में शामिल किया। इन परिवारों की संपूर्ण जानकारी गत वर्ष 31 नवबर तक आवास प्लस एप अपलोड करनी थी, लेकिन अफसरों और कार्मिकों ने इस काम में भी तेजी नहीं दिखाई और निर्धारित तिथि के बाद योजना की साइट बंद हो गई। बाद में ऑफलाइन सूचना संकलन के निर्देश दिए गए, लेकिन ऑफलाइन कार्य भी आगे नहीं बढ़ा। अब प्रदेश में सरकार बदलने के बाद इन बीकानेर के ५११० परिवारों का आवास पाने का सपना पूरा हो गया नहीं, इसकी स्थिति भी स्पष्ट नहीं है।
यह है प्रधानमंत्री आवास योजना
केंद्र सरकार की ओर से संचालित इन्दिरा आवास योजना का नाम 20 नवम्बर 2016 को बदल कर प्रधानमंत्री आवास योजना किया गया था। योजना के तहत लाभार्थी को प्रति आवास 1 लाख बीस हजार रुपए सहायता राशि मिलती है। स्वीकृत राशि प्राथी को तीन किस्तों 25-50-25 के हिसाब से बैंक खाते के जरिए ही दी जाती है। इसके अतिरिक्त लगभग 16 हजार रुपए मानव दिवस की मजदूरी मनरेगा योजना से और 12 हजार रुपए स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के लिए दिए जाते हैं। इस तरह पात्र परिवार को कुल 1.48 लाख रुपए की राशि मिलती है।
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