Bikaner. Abhayindia.com पुत्र की दीर्घायु और मंगलकामना के लिए बछ बारस का पर्व सोमवार को परंपरागत रूप से मनाया गया। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सज-धज कर तैयार होकर महिलाओं ने गाय और उसके बछड़े का विधि-विधान से पूजन किया और आटे से बने लड्डूओं का भोग लगाया। इसके बाद बछ बारस की कथा सुनी।
आपको बता दें कि बछ बारस का व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी और कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को किया जाता है। इसे गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है।
बछ बारस के दिन गीली मिट्टी से पाळ बनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन गेहूं, जौ और गाय के दूध से बनी वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता। इस दिन निराहार रहकर व्रत करते हैं और बछ बारस की कथा सुनते हैं।
आपको बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण को गायों से बहुत प्रेम था। वे स्वयं गायों की सेवा करते थे। उन्होंने गाय को माता कहकर उसकी पूजा को प्रतिपादित किया। उनके गायों के प्रति इस प्रेम को देखकर स्वयं कामधेनू ने बहुला गाय का रूप लेकर नंदबाबा की गौशाला में स्थान लिया था।