








बीकानेर abhayindia.com कोरोना महामारी के बाद लॉक डाउन एवं प्रशासन की सक्रियता से इन दिनों मृत्युभोज जैसी सामाजिक बुराई पर कुछ समय के लिए ही सही लेकिन अंकुश तो लगा है। पता चला है लॉकडाउन की अवधि में दिवंगत हुए लोगों के परिजनों ने मृत्युभोज फिलहाल स्थगित कर दिया है। वैसे प्रशासन और पुलिस ने भी लॉकडाउन में मृत्युभोज जैसी कार्यक्रमों पर कड़ी पांबदी लगा रखी है।
ऐसी ही सक्रियता प्रशासन अन्य दिनों में भी दिखाए तो इस सामाजिक बुराई पर नियंत्रण किया जा सकता है। कुछ सामाजिक बुराइयों की रोकथाम के लिए तो पूरा प्रशासन लगा हुआ है परन्तु मृत्यु भोज जैसी सामाजिक बुराई की रोकथाम के लिए कानून तो बनाए गए लेकिन पालना नहीं हो रही थी। गौरतलब है कि मृत्युभोज की रोकथाम के लिए राज्य सरकार द्वारा 1960 में मृत्युभोज निवारण अधिनियम पारित किया गया। जो पूरे प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू किया गया था।
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शिकायत मिलने के बाद रसद अधिकारी, तहसीलदार व थाना अधिकारी के मार्फत संबंधित को नोटिस थमाया जाता हैै। इसके बाद पाबंध किया जाता है बावजूद इसके भोज होने पर मौके की फोटोग्राफी के बाद खाद्य सामग्री में नमक मिलाकर नष्ट किया जाता है तथा उपकरणों को जब्त किया जाता है। मिठाइयों को नीलाम कर राशि को सरकार के कोष में जमा कराया जाता है।
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