







बीकानेर abhayindia.com कोरोना का साया गणगौर उत्सव पर छाया है।
बारहगुवाड़ चौक में आलूजी छंगाणी की गणगौर का मेला हर साल लगता है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते गणगौर की प्रतिमाओं को बाहर तो निकाला गया है, मगर मेला नहीं भरा। कोरोना गाइड लाइन की पालना करते हुए महिलाओं ने गणगौर के खोळ भरने की रस्म को निभाया।
प्रतिमाओं के भी मास्क…
परम्परा के अनुसार बारहगुवाड़ चौक में यह गणगौर की प्रतिमाएं अलग-अलग स्वरूप धारण किए है। इसमें भगवान गणेश, गुजरी, ईसरजी, गणगौर माता, कृष्ण भगवान के स्वरूप की प्राचीनकालीन प्रतिमाएं है।
जिनको चौक में निकाला जाता है। महिलाएं नारियल, शृंगार सामग्री, वस्त्र, भेंट चढ़ाकर अपनी मन्नतें मांगती है। इस बार प्रतीकात्मक रूप से ही यह उत्सव मनाया जा रह है। यह गणगौर उत्सव करीब चार सौ साल पुराना बताया जा रहा है। इस बार चौक में स्थित विद्यार्थी सभा भवन में गणगौर प्रतिमाओं को बिठाया गया है।
दर्शन के लिए आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को सेनेटाइजर करना अनिवार्य रखा गया है, साथ ही मास्क भी लगा होना आवश्यक है। उत्सव से जुड़े ईश्वर लाल छंगाणी के अनुसार चार सौ साल से परम्परा का निर्वाह किया जा रहा है। इसमें परिवार के सदस्यों के साथ ही गली मोहल्ले के लोगों की भी भागीदारी रहती है। इस बार कोरोना महामारी के चलते प्रतीकात्मक रूप से उत्सव मनाया जा रह है।

बारहमासा गणगौर का पूजन…
इन दिनों भीतरी परकोटे में धींगा, बारहमासा गणगौर का पूजन भी चल रहा है। बारहमसा गणगौर अनुष्ठान की पूर्णाहुति आज हुई। इस बार कोरोना के चलते जूनागढ़ में मेला नहीं भरा। घरों में ही गणगौर का खोळ भरने और पानी पिलाने की रस्म के निभाया गया।
वहीं महिलाओं के साथ ही पुरुष मंडलियों ने भी गणगौर के गीत-भजनों की प्रस्तुतियां दी। सिंघवी चौक में बारहमासा गणगौर अनुष्ठान में महिलाओं ने पानी पिलाने और खोळ भरने की परम्परा निभाई। गीतों की प्रस्तुतियां दी। इस दौरान नख से शिख तक आभूषणों से शृंगारित प्रतिमा चिताकर्षक है।



