बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। निर्मला मां ने अपनी दोनों बेटियों से पूछा कि तुझे राम जैसा भाई चाहिए? नहीं मां, मुझे तो रावन जैसा भाई चाहिए, जिसने अपनी बहिन की आन–बान और शान को अक्षुण्ण रखने के लिए ईश्वर के अवतार से युद्ध कर लिया। यह जानते हुए कि उसका संघार इस योद्धा के हाथ लिखा है। शायद यही भावना बीकानेर के आहूजा परिवार को गत 48 सालों से प्रेरित कर रही है।
लगातार 3 पीढिय़ों से बीकानेर दशहरा कमेटी की सचेतन झांकियों में जोश–खरोश के साथ मुक्त हंसी हंसते आ रहे हैं। यह परम्परा आहूजा परिवार के दादा माघवदास आहूजा के समय से प्रारम्भ हुई। 15 साल बाद 25 साल (सिल्वर जुबली) पूर्व आयकर अधिकारी शिवाजी आहुजा ने इस परम्परा को निभाया। अब गत 13 सालों ने वरिष्ठ रंगकर्मी व फोटो पत्रकार के. कुमार आहूजा रावण के रथ पर सवार होकर हाथों में टॉफी बिस्कुट के साथ तलवार, धनुष–तीर लेकर एक तरफ राम को ललकारते नजर आते है, दूसरी तरफ उनके अट्टाहस से डरते बच्चों को टॉफी बांटते है।
…तो बुरा नहीं मानती मंदोदरी भाभी
यदि आप किसी पड़ौसी महिला को ‘मंदोदरी भाभी‘ कहकर संबोधित करेंगी तो वो क्या महसूस करेंगी? निश्चित रूप से वह आपसे नाराज होंगी, लेकिन जयनारायण व्यास कॉलोनी में रहने वाली आहूजा की पत्नी कान्ता आहूजा को लोग मंदोदरी भाभी के नाम से पुकारते है तो यह उनके लिये गर्व का विषय हैं। क्योंकि व्यास कॉलोनी के लोग कान्ता के स्थान पर मंदोदरी भाभी के नाम से जानते है। बीकानेर दशहरा कमेटी की झांकी में करणीसिंह स्टेडियम में होने वाला मुख्य दशहरा पर्व पर रावण की भूमिका एक ही परिवार करके तीसरी पीढ़ी नया कीर्तिमान बना रही है। यहां का धर्मनिष्ठ आहूजा परिवार की तीसरी पीढ़ी के कुमार आहूजा रावन बनकर अपने गगनभेदी अट्टाहस से सबको अपना मुरीद बनाए हुए हैं।