Friday, April 26, 2024
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जिद्दी बनो : NEET में चयनित सिंथेसियन मघाराम ने बढ़ाई शोभाणा की शोभा

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। वर्तमान दौर में ऐसे विद्यार्थी कम ही देखने को मिलते हैं जो अपनी जिद से कुछ कर गुजरने की ठान लेते है और कर के बताते भी हैं। ऐसा ही कुछ अद्भुत कर दिखाया सिंथेंसिस के सिंथेसियन मघाराम भटेरा ने। इस होनहार छात्र ने यह साबित कर दिया कि बिना जिद के आप इतिहास नहीं रच सकते।

छात्र मघाराम का जन्म नोखा तहसील के एक छोटे से गांव शोभाणा के पूर्ण ग्रामीण परिवेश में हुआ। पिता मोहनराम भटेरा गांव में पशुचारण का कार्य करते हैं एवं माता पानादेवी अपने पांच बच्चों एवं घर को संभालती हैं। मघाराम ने अपनी आठवीं कक्षा तक की शिक्षा शोभाणा के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में प्राप्त की। गांव में माध्यमिक विद्यायल न होने के कारण राजकीय माध्यमिक विद्यालय भादला में अपनी माध्यमिक शिक्षा ग्रहण की। बाद में विज्ञान संकाय में उच्च माध्यमिक की शिक्षा नोखा के श्रीनामदेव शिक्षण संस्थान में पूरी की। इसके बाद बी.एस.सी. करने के लिए अपना दाखिला नोखा के राजकीय मांगीलाल बा-ड़ी महाविद्यालय में लेकर बी.एस.सी. प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष पास किया, परन्तु मन में एक अच्छा डॉक्टर बनने की चाह थी। नोखा के युवा नेता मंगनाराम ने मघाराम की मुलाकात नोखा के पूर्व संसदीय सचिव कन्हैयालाल जी झंवर से करवाई।

झंवर ने मघाराम की लगन व इच्छा को देखकर उत्तर पश्चिम राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में शुमार सिंथेसिस में मघाराम का दाखिला निदेशक मनोज बजाज के मार्गदर्शन में करवाया। इस शिक्षण संस्थान की होनहार व प्रतिभावान एवं निर्धन विद्यार्थियों के लिए दमयंती देवी गोस्वमी छात्रवृत्ति योजना (डी.जी.एस.एस) के अंतर्गत दाखिला हुआ। संस्था के श्रेष्ठ अध्यापकगणों एवं सहायक परिवेश में रहकर मघाराम ने विलम्ब से हुए दाखिले उपरांत भी बहुत अच्छी तरह अध्ययन कर आर.पी.वी.टी. -2017 तथा प्रयोगशाला सहायक में सफल हुए, लेकिन नीट-2017 अच्छी रैंक प्राप्त नहीं कर सके।

एक अच्छा डॉक्टर बनने की जिद के कारण नीट-2018 में अच्छी रैंक हासिल करने के लिए सिंथेंसिस निदेशकों का कहना मान सरकारी जोन को त्याग कर फिर से तैयारी में जुट गए। इस बार मघाराम अपनी तैयारी पहले से दो-गुनी कर दी। हर दिन लगभग 13 से 14 घंटों के नियमित अध्ययन एवं गुरूजनों के आर्शीवाद से नीट-2018 में अपने वर्ग की 129वीं रैंक हासिल की। यही नहीं एम्स-8764 में भी अपने वर्ग में 66वीं रैंक व सम्पूर्ण भारत में 3468वीं रैंक हासिल कर अपना डॉक्टर बनना सुनिश्चित किया।

इस तरह अपनी जिद से मघाराम ने न सिर्फ से अपना सपना पूरा किया बल्कि अपने देश-गांव एवं परिवार का नाम रोशन किया। मघाराम को एक अच्छे शिक्षण संस्थान का लाभ प्राप्त हुआ जहां मघाराम की शिक्षा में सुधार हुआ एवं साथ ही अपनी निजी समस्यों का भी हल मिला। मघाराम ने अपने इन प्रयासों से यह साबित किया की लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी अच्छी जिद पर दृढ़ रहना चाहिए।

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