








बीकानेर abhayindia.com पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी भले ही अपनी जन्मस्थली ग्वालियर की मिठाईयां और मूंगौडी खाने के बेहद शौकीन थे, लेकिन उन्हें बीकानेर के भुजिया और रसगुल्ले भी काफी पसंद थे। वाजपेयी अपने राजनीतिक जीवनकाल के दौरान 5 बार बीकानेर आए। वे आखिरी बार वर्ष 2003 में बीकानेर आए थे, तब वे देश के प्रधानमंत्री थे। दिल्ली में जब जब बीकानेर से कोई भी परिचित उनसे मिलने जाते तो वे उनके सामने भुजिया-रसगुल्ला का जिक्र जरूर करते थे।
जानकार बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री पहली बार वर्ष 1953 में बीकानेर आए थे। तब दांती बाजार में सभा हुई थी। इसके बाद वे वर्ष 1971 में जनसंघ के विधानसभा प्रत्याशी भंवरलाल कोठारी के समर्थन में सभा को सम्बोधित करने आए। वाजपेयी सभा के निर्धारित समय से करीब तीन घंटे देरी से पहुंचे थे। भाषण की शुरूआत में ही उन्होंने ऐसी बातें कही कि लोग ठहाके लगाने को मजबूर हो गए। उन्होंने कहा था कि देरी से पहुंचने का कारण सड़कें और सरकारी गाड़ी है। उस समय वे प्रतिपक्ष के नेता थे और उन्हें सरकारी गाड़ी मिली हुई थी।
इस सभा के बाद वे वर्ष 1982 में बीकानेर आए, तब उन्होंने फोर्ट स्कूल मैदान में जनसभा को सम्बोधित किया। वाजपेयी वर्ष 1994 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गिरधारी लाल भोबिया के समर्थन में चुनावी सभा को सम्बोधित करने भी आए।
उनकी बीकानेर में आखिरी जनसभा डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में हुई, जिसमें उनका ओजस्वी भाषण सुनने के लिए रिकार्ड संख्या में लोग पहुंचे। उक्त सभा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित पूर्व विधायक मानिक चंद सुराना, स्वर्गीय नंदलाल व्यास, किसनाराम नाई, गोविंद मेघवाल आदि प्रमुख नेता मंच पर मौजूद थे।
आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी की बुधवार को 95वीं जयंती है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में वाजपेयी की 25 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण किया। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी समेत दिग्गजों ने सदैव अटल स्मारक पहुंच वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी।





