जयपुर/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। सूबे की सरकार एक साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर सियासी नियुक्तियों का पिटारा खोल सकती है। संभवत: मळमास के बाद सियासी नियुक्तियों के तहत प्रदेश के कई नेताओं की ‘प्रतिष्ठाÓ को संजीवनी मिल सकती है। सरकार ने पिछले साल यूआईटी अध्यक्षों सहित कुछ अन्य सियासी नियुक्तियों का पिटारा खोला था। वैसे भी इस राज में ये नियुक्तियां बहुत धीरे-धीरे हो रही है। सरकार चार साल के कार्यकाल का जश्न जोर-शोर से मना रही है, लेकिन अब भी कई बोर्ड, निगमों, कॉर्पोरेशंस में नियुक्तियां अटकी पड़ी हैं।
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी सहित अपने विश्वस्त लोगों के साथ सियासी नियुक्तियों को लेकर कवायद तेज कर दी है। मळमास के बाद सरकार करीब पचास फीसदी लम्बित नियुक्तियों को अमलीजामा पहना देगी। मंत्रीपरिषद फेरबदल और विस्तार की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।
सियासी नियुक्तियों को लेकर प्रदेश के कई दिग्गज भाजपा नेता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इनमें बीकानेर संभाग के लिहाज से निहालचंद मेघवाल, देवीसिंह भाटी, विधायक मानिकचंद सुराना, डॉ. गोपाल कृष्ण जोशी, सिद्धिकुमारी जैसे नाम भी प्रमुखता से आते हैं। पूर्व में राजस्थान आवासन मंडल तथा नहर बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भाजपा के कद्दावर नेता देवीसिंह भाटी को नियुक्ति करने की चर्चा जोर पकड़ी थी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। वर्तमान में राजस्थान आवासन मंडल का कामकाज मंत्री श्रीचंद कृपलानी संभाल रहे हैं। जबकि साहित्य अकादमियों, आरटीडीसी, कला बोर्ड, यूथ बोर्ड, देवनारायण बोर्ड जैसे पद रिक्त ही चल रहे हैं। आने वाले समय में होने वाली ये सियासी नियुक्तियां भाजपा के कई नेताओं के लिए तो प्रतिष्ठा का सवाल भी बनेंगी। सियासी नियुक्ति नहीं मिलने पर कइयों का कद भी घट सकता है।