मुकेश पूनिया/बीकानेर abhayindia.com मिलावटखोरी का हब बने चुके बीकानेर में त्यौहारी सीजन पर शुद्ध के लिये युद्ध अभियान में जुटी स्वास्थ्य महकमे की टीम पर ही सवाल उठने लगे है। पिछले पांच दिनों से जगह-जगह छापे मारते घूम रही स्वास्थ्य महकमें की टीम छुटभैये मिलावटखोरों पर कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि बीकानेर में बड़े पैमाने पर बिक रहे नकली देशी घी, मिलावटी मिठाईयां और नमकीन तथा मिर्च मसालों के नामी मिलावटखोरों पर शिंकजा कसने में नाकाम बनी हुई है। इसके चलते जिले में छोटे-मोटे मिलावटखोरों में तो हड़कंप सा मचा हुआ, लेकिन मिलावट माफिया बेखौफ होकर अपने कारोबार में जुटे है।
पुख्ता खबरों के अनुसार नकली घी माफियाओं ने करणी औद्योगिक क्षेत्र को अपना ठिकाना बना रखा है, जहां नकली घी बनाने की अनेक फैक्ट्रियां चल रही है। इन फैक्ट्रियों में बनने वाला सैकड़ों लीटर नकली घी बीकानेर समेत प्रदेश के बड़े शहरों-कस्बों में सप्लाई किया जा रहा है। चौंकानें वाली बात तो यह है शहरभर में घी की दुकानों पर नकली देशी घी धड़ल्ले से बिक रहा है, लेकिन स्वास्थ्य महकमे की टीम इन दुकानों की तरफ नहीं झांक रही है।
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यह भी जग जाहिर है कि शहर का फड़ बाजार मिलावटी मिर्च-मसालों और खाद्य तेल का सबसे बड़ा ठिकाना है। बाजार की दुकानों और गोदामों में बेशुमार मात्रा में मिलावटी मिर्च मसाले, खाद्य तेल भरा पड़ा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम नामी मिलावटखोरों की दुकानों और गोदामों की तरफ रूख नहीं कर रही है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अभी दो दिन पहले फड़ बाजार में मिलावटी मिर्च मसालों के बड़े कारोबारी की चक्की में दबिश देकर रंग मिली मिर्च मिलने पर करीब पच्चीस किलो मिर्च नष्ट करवाई थी, जबकि चक्की के गोदाम की तरफ रूख नहीं किया जहां भारी तादाद में मिलावटी मिर्च-मसालों की बोरियां भरी पड़ी थी।
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दागदार कर रखा धर्मनगरी का दामन : मिलावट का धंधा करने वालों ने बीकानेर का दामन दागदार कर रखा है। सालों पहले नकली घी-मिलावटी दूध के मामले में बदनाम रहे बीकानेर का नाम अब मिलावटी मिर्च मसालों, मिठाईयों, नमकीन और दूषित मावे के लिये सबसे टॉप पर है। अभी पिछले दिनों जब मिलावट के मामले सामने आने पर जब शोर मचा तब जिम्मेदारों की नींद खुली, फिर भी अभी तक कोई बड़ी कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग की टीम के नाम दर्ज नहीं हुई है। हालांकि मिलावटखोरों के खिलाफ त्यौहारी सीजन के मौके पर शुद्ध के लिये युद्ध करने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम हर बार जांच के नाम पर खाद्य पदार्थो के सैंपल लेकर जांच के लिये जयपुर की प्रयोशाला में भेज देती है, जहां रिपोर्ट आने में महिनों बीत जाते और तब मिलावटी खाद्य सामग्री बाजार में बिक चुकी होती है। सैंपल फेल हो गया तो भी मामूली सा जुर्माना देकर बच निकले। मिलावट के जिस धंधे में लाखों की कमाई है, उसमें मामूली सा जुर्माना देने से उनको कोई फर्क नहीं पड़ा। अब हालात पूरी तरह बिगड़ चुके हैं। पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष मिलावट को लेकर दो गुना सैंपल लिए गए हैं। इसके अलावा मिलावट माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी अमल में नहीं जाती है, इस कारण मिलावटखोरों ने बीकानेर को अपना गढ बना लिया है।
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तेजी से बढ रहे हैं आंकड़े : स्वास्थ्य महकमे से जुड़े सूत्रों के अनुसार वर्ष 2016 से 2018 तक 358 सैंपल लिये गये तो जो अब दुगुने हो गये है। मिलावट किस तेजी से बढ़ी है, इसका अंदाजा आंकड़ों को देखकर लगाया जा सकता है। अभी सख्ती दिखाई दे रही है, लेकिन मिलावट थमने का नाम नहीं ले रही है। इसकी पहली वजह तो नियमित जांच और कार्रवाई नहीं होना है। जिनकी जिम्मेदारी है वो अपनी वार्षिक खानापूर्ति के लिए निर्धारित सैंपल लेकर फुर्सत हो जाते हैं। दूसरी वजह सैंपल की रिपोर्ट आने में देरी है।