उस्तादजी बचपन से ही सिकंदर को अपना आदर्श मानते रहे हैं। मानें भी क्यों ना? वो सिकंदर ही तो था जिसका पाठ उन्हें कंठस्थ याद था। वो पाठ उनकी स्मृति में हमेशा के लिए छप गया था कि सिकंदर महान था, वो विश्व विजय के लिए निकला था। बस वो दिन और आज का दिन, उस्तादजी भी महान बनने के लिए हाथ-पैर मारने लगे। वे उस समय से महान बनने के लिए लालायित थे जब वे पूरी तरह से मानव भी नहीं बने थे। गणित में तो वे आर्यभट्ट के चेले हैं इसलिए कैलकुलेशन कर उन्होंने पहले लोगों को महान घोषित करने का काम बड़ी शिद्दत से किया। सच तो यह है कि वे जब, जिसे और जहाँ चाहें, महान घोषित कर सकते हैं।
ये तो उस्तादजी का ही कमाल था कि उन्होंने ऐसे कई महान बना दिए जो ठीक से इंसान भी नहीं थे। उस्तादजी के प्रसाद से वे सीधे भगवान हो गए! उस्तादजी के महान बनाने के हुनर ने हमें भी अंदर तक झकझोर दिया। आप ऐसे समझ लें कि महान बनने की हमारी दबी इच्छा भी हिलोरे मारने लगी। अपनी इच्छा को अमलीजामा पहनाने के लिए हम भी उस्ताद जी के अखाड़े में पहुँच गए। वहां जाकर तो उस्ताद जी की महानता से आतंकित हो गए। उनकी महानता का तेज इतना था जिसे हम बर्दाश्त नहीं कर पाए। आपसे क्या छिपाना, अपनी कमजोर इम्युनिटी के कारण हम उस्ताद जी के सामने एक मिनट भी नहीं ठहर पाए। भारत के इतिहास में नौ रत्न रखने वाला एक अकबर ही महान नहीं हुआ। हमारे उस्ताद जी ने भी अपने नौ रत्न अपॉइंट कर रखे हैं। ये बात अलग है कि हमने भी एक बार उनका दसवां रत्न बनने का सांगोपांग प्रयास किया, लेकिन नौ रत्नों के विद्रोह के डर से हमारे सारी कोशिशें भोथरी हो गई। उनके अपने पर्सनल हिस्टोरियन हैं जो साहित्य की सूनी गोद भरने का श्रेय उस्ताद जी को ही देते हैं।
शुरुआत में साहित्य बहुत ही आशाभरी निगाहों से उस्ताद जी की ओर निहार रहा था, लेकिन उस्ताद जी का रोल मॉडल तो सिकंदर रहा है। कहते हैं अपनी मृत्यु तक सिकन्दर उस तमाम भूमि को जीत चुका था, जिसकी जानकारी उसके देश के लोगों को थी। हमारे उस्ताद जी भी कम नहीं है, उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं में अपना जौहर दिखाते हुए अपने दौर के सभी सम्मान व पुरस्कारों पर बलपूर्वक अपना आधिपत्य जमा लिया। उस्ताद जी के साहित्य के इस अश्वमेध घोड़े को जिसने भी पोरस बनकर रोकने की कोशिश की, उस पर उनका प्रकोप टूट पड़ा।
हमारे उस्ताद जी साहित्यिक चौकीदारी को कर्म-कांड मानते रहे हैं। साहित्य का यह प्रधान सेवक यह काम दरबारी इतिहासकारो के भरोसे नहीं छोड़ सकता, इसलिए अपनी ‘साहित्यिक चौकीदारी’ की वसीयत वे जरूर अच्छे से किसी गुरू अरस्तू के नाम लिखेंगे। -ज्योति मित्र आचार्य, उस्ता बारी के अंदर, बीकानेर
राजस्थान : जाता हुआ सावन चलाएगा बौछारों के तीखे बाण, मौसम विभाग ने 20 से…
जयपुर Abhayindia.com राजस्थान में भले ही मानसून की गतिविधियां धीमी पड़ गई हो लेकिन, छह दिन बाद बारिश दूसरा दौर शुरू हो जाएगा। हालांकि, अगले छह दिन तक भी प्रदेश कई इलाकों में छिटपुट बारिश की संभावना जताई जा रही है। मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में 17 व 18 के बीच कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है। इसके चलते 20-21 अगस्त से प्रदेश में बारिश का सिलसिला फिर से शुरू होगा। विभाग की माने तो इस बार भी बारिश का जोर पूर्वी प्रदेश पर ही रहेगा। विभाग के अनुसार, राजस्थान में सामान्य से आठ प्रतिशत बारिश ज्यादा दर्ज हुई है। यदि पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान की बात की जाए तो पश्चिमी राजस्थान में अब तक मानसून की बेरूखी चल रही है।
आपको बता दें कि पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 20 प्रतिशत बारिश अधिक दर्ज की गई है जबकि, पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से भी 11 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
इन जिलों को बारिश का इंतजार- बीकानेर, जोधपुर, जालौर, नागौर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, सिरोही, उदयपुर।
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