Wednesday, November 20, 2024
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बीकानेर में प्रभारी मंत्री के नहीं आने के मामले ने पकड़ा तूल, विधानसभा में भी गूंजा

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बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर जिले के प्रभारी मंत्री रमेश चंद मीणा के बीकानेर नहीं आने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। यह मामला विधानसभा तक भी पहुंच गया है। असल में, बीकानेर में जिला कलक्‍टर भगवती प्रसाद कलाल के साथ हुए विवाद के बाद से मंत्री मीणा के बीकानेर आने का एक भी कार्यक्रम नहीं बना है। इस बीच, लूणकरणसर विधायक सुमित गोदारा ने मंगलवार को विधानसभा में कृषि व पशुपालन पर बोलते सरकार की बेरुखी व कागजी घोषणाओं पर आक्रोश जताया। उन्होंने प्रभारी मंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि बीकानेर में भ्रष्ट अधिकारी बैठे हैं इसलिए वे बीकानेर नहीं आते।

विधायक गोदारा ने कहा कि कृषिपशुपालन किसानों का मुख्य व्यवसाय है लेकिन, सरकार की बेरुखी, बदनीयती साफ झलकती है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के निर्णय केसीसी किसानों के लिए वरदान साबित हुए है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को हर छह माह में केसीसी जिसे रोल ओवर बंद कर किसान को राहत दी।

गोदारा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रशंसा करते हुए बताया कि वर्ष 2020 2021 में लूणकरणसर में खरीफ का 126 करोड़ व 107 करोड़ राशि मिली है। जीएसएस नहीं बनने के कारण किसानों को बड़े स्तर पर नुकसान झेलना पड़ता है। विधायक ने लूणकरणसर में मिनी फूड पार्क खोले जाने की भी मांग की। डिग्गी निर्माण में लॉटरी सिस्टम को बंद करने व प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने की भी मांग की। लूणकरणसर में डिग्गी निर्माण की 6500 फाइल पेंडिंग है लेकिन 1110 का ही टारगेट दिया गया है।

उन्‍होंने बताया कि सोलर में बीकानेर में साढे दस हजार फाइल पेंडिंग है, पिछले 4 साल से 5 एचपी के कोई कनेक्शन नहीं दिए जा रहे हैं। जलहौद में सब्सिडी बढ़ाई है लेकिन पिछले 4 साल में बीकानेर में एक भी जलहौद का टारगेट नहीं दिया गया। लूणकरणसर में कार्यालय सहायक निदेशक कृषि विस्तार कार्यालय लूणकरणसर, महाजन में कृषि मंडी खोले जाने की मांग भी की। कृषि विश्वविद्यालय में साइंटिस्ट तो है लेकिन क्षेत्र को इससे कोई फायदा नहीं मिलता क्योंकि वह अपने कमरों से बाहर ही नहीं निकलते है।

बिहारी बिश्‍नोई ने भी उठाए सवाल : विधानसभा में मंगलवार को नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने कृषि एवं पशुपालन विभाग की चर्चा में भाग लेते हुए किसानों की विभिन्न समस्या से सरकार सवाल उठाते हुए कहा कि बजट 2021-22 में 5.4 प्रतिशत प्रावधान किया लेकिन एक्चुअल बजट में सम्भावित का माईनस दस प्रतिशत रहा है। बजट 2022-23 में 5 प्रतिशत का प्रावधान किया जो आरई में 4.2 प्रतिशत हो गया। बजट 2023-24 में 4.3 प्रतिशत प्रावधान किया जो तीन साल में सबसे कम है। 2023 को भारत के प्रस्ताव पर यूएन ने इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है। मोटे अनाज में बाजरा सबसे पहली पसंद है। देश मे सबसे ज्यादा बाजरे का उत्पादन राजस्थान में होता है। राजस्थान की सभी फसलों में बाजरे का क्षेत्रफल सबसे बड़ा है। फिर भी राज्य सरकार बाजरे की सरकारी खरीद एमएसपी पर नही कर रही। जिससे किसानों को मजबूरन आधे दाम पर बाजरा बेचना पड़ रहा है। सरकार को बाजरे की सरकारी खरीद शुरू करनी चाहिए। विधायक बिश्नोई ने कहा कि नोखा विधानसभा व आसपास के क्षेत्र में प्याज बहुतायत में पैदा होता है। परंतु फसल बेचने में किसान को दिक्कत आती है इसलिए जसरासर में प्याज मंडी खोली जाए।

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