








बीकानेर/श्री करनपुर Abhayindia.com जीवन के अंतिम पड़ाव पर सेवानिवृत्त कर्मचारी जो अनुदानित शिक्षण संस्थाओं से राजकीय सेवा में समायोजित हुए थे उन्हें लम्बे न्यायिक संघर्ष के बाद सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिला।
लेकिन सितंबर 2018 में देश के शीर्षस्थ न्यायालय के निर्णय के दो साल बाद भी राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना के अनुसार उनकी पेंशन शुरू नहीं की। सेवानिवृत्त हो चुके कई कर्मचारी तो इसी अधूरी उम्मीद का बोझ उठाए ही जीवन की यात्रा पूरी कर चुके हैं।
सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों के सात वर्ष पहले प्राप्त हुए लाखों रुपए ब्याज सहित सरकारी खजाने में जमा करना मुश्किल था, लेकिन उच्च न्यायालय के निर्णय की अनुपालना में गंगानगर माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के अधीन आने वाले कर्मचारियों ने अनुदानित संस्थाओं से प्राप्त पीएफ फण्ड के लाखों रुपए ब्याज सहित जमा करवा दिए। हलांकि अन्य शिक्षा कार्यालयों ने न्यायालय के आदेशों की अनुपालना ही नहीं की।
न्यायालय पर भरोसा कर अपनी जमा पूंजी एवं किसी तरह की व्यवस्था कर अनुदानित संस्थाओं से प्राप्त लाखों रुपए ब्याज सहित सरकारी खजाने में जमा करवाने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों का दर्द कोढ़ मे खाज के समान पीड़ादायक हो चुका है। परिवार में आय का कोई अन्य स्त्रोत नहीं पर बजुर्ग सेवानिवृत्त कार्मिक बेबस है।
…उम्रभर की पूंजी कराई जमा
कुछ कर्मचारियों ने तो अपनी बेटियों की शादी के लिए बचाकर रखी उम्रभर की पूंजी जमा करवा दी। तो कइयों ने उधार मांग कर भी खजाने में धन जमा कराया।
ना ही तो सरकार, ना विभाग लौटा रहा राशि…
इसे सेवानिवृत्त कार्मिकों का दुभाग्य ही कहे कि ना ही तो विभाग सेवानिवृत्त कर्मचारियों को खजाने में जमा उनके हक के पैसे लौटा रहा है और ना ही सरकार सुनवाई कर रही है। राज्य सरकार तो सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद भी इनकी पेंशन शुरू नहीं कर रही है।
शुरू किया जागृति अभियान...
राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वैलफेयर सोसायटी के प्रदेशाध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया के आह्वान पर राज्य सरकार से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करवाने के लिए जागृति अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलजीत शर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को तुरंत लागू करने की मांग रखी है।
सरकार का कदम दुर्भाग्यपूर्ण
संगठन के पदाधिकारियों ने राज्य सरकार की ओर से देश की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में पुन: विचार याचिका आवेदन के कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
…तो कब जागेगी संवेदनशीलता
उम्र के अंतिम पड़ाव में व्यक्ति के पास सांसो की पूंजी भी कम होती है। ऐसे में कौन जानता है कि अंतिम सांस व अंतिम लडा़ई में से पहले कौन रुकेगी? अब सवाल यही है कि सरकार की संवेदनशीलता कब जागेगी? देश की सर्वोच्च अदालत के निर्णय को कब लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री में नाम ज्ञापन…
संगठन के एक शिष्टमंडल ने सेवानिवृत कार्मिकों की पीड़ा को ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचाया है। शिष्टमंडल मे संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलजीत शर्मा ,सेवानिवृत्त कर्मचारी अशोक पांधा, विजय गावा, शंकर लाल वर्मा बनारसी दास आदि शामिल थे।





