








बीकानेरAbhayindia.com प्रदेश में बिजली के दरों में हो रही बढ़ोत्तरी के खिलाफ अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने दूसरे चरण का अभियान शुरू किया है। इसके तहत राजस्थान सरकार की ओर से विद्युत शुल्क में की जा रही बढ़ोत्तरी को वापस लेने की मांग उठाई जा रही है।
ग्राहक पंचायत के कार्यकर्ताओं ने जोधपुर प्रांत के सभी जिलों में जिला कलेक्टर के माध्यम से, उपखंड अधिकारी एवं तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा है। इसके जरिए बताया गया है कि सरकार को मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए इस साल फरवरी में की गई विद्युत शुल्क बढ़ोतरी को तुरंत प्रभाव से वापस लेना चाहिए, साथ ही फरवरी से अगस्त महा तक वसूली गई अधिक राशि को उपभोक्ताओं को वापस लौटाना चाहिए।
बीकानेर में एडीएम सिटी को ज्ञापन
बीकानेर में महानगर अध्यक्ष मदन सुरोलिया के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने एडीएम सिटी से मुलाकात कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। इसमें बताया गया है कि एक तरफ दो माह में एक बार मीटर रीडिंग होने पर रीडिंग के अनुसार ही दोनों माह का स्थाई शुल्क जोड़ दिया जाता है जबकि किसी एक माह में उपभोक्ता कम बिजली का इस्तेमाल करता है, और किसी एक माह में अधिक परंतु उपभोक्ता के साथ दोनों माह के बिजली उपभोग को जोड़ा जा रहा है।
इसे रोकने के लिए प्रति माह बिल का वितरण किया जाए। ज्ञापन के जरिए प्रतिनिधि मंडल ने अन्य राज्यों का उल्लेख किया है। इसमें मुख्य रूप से दिल्ली का उदाहरण दिया गया है, जहां पर 200 यूनिट तक बिजली हर व्यक्ति के लिए निशुल्क है। वहीं पंजाब हरियाणा,हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में भी बिजली की दरें बहुत कम है, लेकिन प्रदेश में उपभोक्ताओं को बिजली बिल भरना भारी पड़ रहा है, क्योंकि यहां पर दरें बहुुत ज्यादा है।
ऑडिट कराई जाए…
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए सरकार से आग्रह किया है कि राजस्थान की तीनों बिजली कंपनियों का ऑडिट करवा कर तुलनात्मक अध्ययन करते हुए एक श्वेत पत्र जारी किया जाए।
जिससे बिजली कंपनियों की वास्तविक स्थिति का आम उपभोक्ता को पता लग सके और बिजली कंपनियों के अनावश्यक खर्चों पर अंकुश लगाकर उसके वजह से ग्राहकों पर पडऩे वाले बोझ को कम किया जा सके। प्रतिनिधि मंडल में प्रांत सह संगठन मंत्री मुकेश आचार्य, महानगर संगठन मंत्री वेंकट व्यास एवं दक्षिण क्षेत्र के अध्यक्ष अरुण पुरोहित आदि शामिल थे।





