




‘आमजन में विश्वास और अपराधियों में खौफ।’ पुलिस का यह आदर्श वाक्य इन दिनों बीकानेर में कुछ फिट नहीं बैठ रहा। क्योंकि जिनमें वास्तव में खौफ होना चाहिए, वे तो बेखौफ हो रहे हैं। नामी हिस्ट्रीशीटर सरेआम तलवारबाजी का ’जौहर’ दिखा रहे हैं। चोर-नकबजन मजे से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। शराबी रात गहराते ही ’माईकल’ बनकर सड़कों पर निकल पड़ते हैं। पियक्कड़ों के लिये ठेके रात तक खुले रहते। लूटमार करने वाले भी मौके की नजाकत भांप कर अपना हुनर दिखा ही रहे हैं। शहर की कानून-व्यवस्था को लेकर लगातार मच रही हाय-तौबा के बावजूद महकमे में जिम्मेदार सख्ताई नहीं दिखा रहे। ऐसे में कैसे कहें कि आमजन में विश्वास और अपराधियों में खौफ कायम है, लेकिन फिलहाल सब खैरियत है…।
आज भी सूनी है आलीशान चौकी
शहर में निकाय चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई है, इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन कानून और व्यवस्था सुचारू रखने के लिए तामझाम जुटाने में लगा है। इसके लिए थानों और पुलिस चौकियों में मौजूद स्टाफ का चुस्त-दुरुस्त रहने की हिदायतें दी जा रही हैं। इस बीच, एक विडंबना यह भी है कि खाकी के पास संसाधन होने के बावजूद वो उनका सदुपयोग नहीं कर पाती। ऐसा ही एक मामला चौपड़ा कटला की आलीशान पुलिस चौकी का है, जहां तमाम बंदोबस्तों के बावजूद खाकी नजर नहीं आती। इस चौकी का जीर्णोद्धार कराने के लिये भामाशाह सेठों ने जमकर खर्चा लगाया था, लेकिन शर्त यह रखी थी कि जीर्णोद्धार के बाद चौकी में खाकी परमानेंट तैनाती रहनी चाहिए। हालांकि कुछ दिनों तक तो चौकी में खाकी मुस्तैदी नजर आई लेकिन बाद में स्थिति वहीं ढाक के तीन पात। लेकिन, फिलहाल सब खैरियत है…।
छुट्टी के मजे ले रही खाकी
चुनाव आचार संहिता लगने के साथ ही खाकी वाले सतर्क हो गए हैं। उन्हें पता है कि चुनावी सरगर्मियां तेज होने के साथ ही उनकी फिल्डिंग भी तेज हो जाएगी। ऐसे में वे अभी अपनी बची-खुची छुट्टियों का लुत्फ उठाने में मशगूल हो गए। टाइगर साहब भी देख रहे हैं कि बाद में तो भरी सर्दी में खाकीवालों का पसीना निकलना है। इसलिए क्यों न अभी इन्हें छुट्टियों पर भेजकर फ्रेश कर दिया जाए। टाइगर साहब की नरमी के चलते खाकीवाले बारी-बारी से अपने-अपने शहर और गांव जाकर घरवालों-परिचितों से मिल-जुल रहे हैं। चुनावी सरगर्मियां तेज होने के साथ ही इन्हें फिर से फिल्डिंग में जुटना पड़ेगा। लेकिन, फिलहाल सब खैरियत है…।
बीकानेर में आकर थम गई सरदारजी की रफ्तार
जयपुर से रफ्तार पकड़ कर सीधे बीकानेर पहुंचे पुलिस महकमे के ऊर्जावान थ्री स्टार सरदारजी की रफ्तार यहां आकर अटक गई। सालों पहले यहां की खाकी फौज में अपनी परफोर्मेस दिखा चुके सरदारजी लंबे अर्से से बीकानेर आना चाहते थे, लेकिन जुगाड़ नहीं होने के कारण जयपुर में जम गये। अभी पिछले महीने शहर के नामी हथियार तस्कर की जांच के सिलसिले में यहां आये और पुराने साथियों से मेल मुलाकात के दौरान उनके सामने बीकानेर में तैनाती की मंशा जाहिर कर दी। मंशा को भांप कर सत्ता में मंत्री स्तर तक सीधी पहुंच रखने वाले पुराने साथी ने यहां आने का जुगाड़ करवा दिया। जुगाड़ होते ही सरदारजी ने सिंगल ऑर्डर के साथ बीकानेर में दस्तक दे दी और थाना भी चयनित कर लिया, लेकिन चुनावी आचार संहिता लगने के कारण थाने में तैनाती का मामला अटक गया। खैर, अब कुछ दिनों की आचार संहिता के बाद सरदारजी के लिये थाना तैयार है। लेकिन, फिलहाल सब खैरियत है…।
खूब चला भागम-भाग का खेल
दीपावली पर पुलिस और जुआरियों के बीच भागम-भाग का खेल दिलचस्प अंदाज में चलता रहा। शहर में जगह-जगह जुआरियों ने अपने जमघट लगा लिए, स्थायी और अस्थायी अड्डों पर धड़ल्ले से ताश के पत्तों और घोड़ी की गोटियां पर नोटों के दांव लगे, पुलिस एक जगह कार्रवाई करके थाने पहुंचती है, कि दूसरी जगह जुआ चलने की खबर आ दिखे। जुआरियों का सूचना तंत्र पुलिस से इतना ज्यादा एक्टिव था कि पुलिस की जीप थाने से निकलते ही उन्हे सूचना मिल जाती। वैसे अनुभवी लोगों ने बताया कि हर बार कि तरह इस बार दिवाली के मौके पर पुलिस को भी जुआरियों से ज्यादा मौके पर बिखरे नोटों से सरोकार था। इतना सब कुछ होने के बाद भी दिवाली पर नया शहर पुलिस ने जुआरियों के खिलाफ कार्यवाही का शानदार रिकॉर्ड बना लिया। लेकिन, फिलहाल सब खैरियत है…। –मुकेश पूनिया
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