मुकेश पूनिया/बीकानेर abhayindia.com निकाय चुनावों से पहले नगर निगम के वार्डो का नये सिरे से परिसीमन कर नये वार्डो का गठन शहर से दूर दराज बस्ती कॉलोनियों के लिये संजीवनी साबित होगा, वहीं शहरी परकोटे के कई वार्ड दो-तीन मौहल्लो तक ही सिमट जायेगे। बहरहाल, परिसीमन को लेकर सियासी हलचल भी तेज हो गई है। इसमें राजनीतिक दखल को लेकर भी आशंकाएं उपजने लगी है। वार्डो के परिसीमन को लेकर भाजपा नेता खासे आंशकित है। शहर भाजपा अध्यक्ष डॉ. सत्यप्रकाश आचार्य का कहना है कि शहर में आबादी के हिसाब से नए वार्ड तो बढऩे ही चाहिए। लेकिन राजनीतिक पार्टियों को अब परिसीमन में दखल बिल्कुल नहीं देना चाहिए। परिसीमन जितने अच्छे तरीके से होगा शहरवासियों को सुविधाएं भी उतनी आसानी से मिल सकेगी। सत्तारूढ कांग्रेस ने अपने हिसाब से वार्डो का परिसीमन कराया तो भाजपा इसका विरोध करेगी।
जानकारी में रहे कि फिलहाल शहर में दर्जनों की तादाद में ऐसे वार्ड है जिनका क्षेत्रफल पांच-पांच मौहल्लों तक फैला हुआ। जानकारी के अनुसार नये सिरे से होने जा रहे परिसीमन के तहत शहर के वार्ड संख्या 1, 2, 4, 13, 18, 21, 22, 34, 35, 36, 37, 38, 40, 43 व 55 की सीमाओं में सबसे ज्यादा फेरबदल होने की संभावना है। हालांकि सियासी नेता वाडोँ के नये परिसीमन को अपने फायदे और नुकसान के लिहाज से आंक रहे है, जबकि जागरूक लोगों का कहना है कि नये परिसीमन के बाद नए वार्ड बढऩे से पार्षदों की संख्या भी बढ़ेगी।
वर्तमान में कई वार्डों का क्षेत्र काफी लंबा है। इस कारण वार्ड पार्षद भी हर इलाके की समस्या नहीं सुन पाते हैं। अब वार्ड और भी छोटे होने से आमजन की शिकायत सीधे पार्षद तक पहुंच सकेगी। नए समीकरणों के बाद भाजपा, कांग्रेस व अन्य पार्टियों के पार्षदों की संख्या भी बढ़ेगी वहीं निर्दलीय पार्षदों का कुनबा भी बढ़ेगा। निर्दलीय पार्षद आर्दश शर्मा का कहना है कि वार्डो में बढोतरी के लिये सरकार के इस फैसले से जनता की भागीदारी बढ़ेगी। पार्षदों तक जनता की पहुंच आसान होगी। शहर को बजट ज्यादा मिलने से विकास भी तय समय पर पूरे होंगे। नए परिसीमन का सबसे ज्यादा फायदा बाहरी कॉलोनियों के लोगों को मिलना तय है।
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