बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) के सेंटर फॉर वीमेन्स स्टडीज़ की डायरेक्टर व इतिहास विषय की संकाय सदस्य डॉ. मेघना शर्मा ने जोधपुर में पांच से सात फरवरी के मध्य आयोजित राजस्थान हिस्ट्री कांग्रेस के 33वें त्रिदिवसीय अधिवेशन के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिला भागीदारी (राजस्थान की महिला नेत्रियों के विशेष संदर्भ में) विषय पर अपनी बात कहते हुए कहा कि बीकानेर की आंदोलनकारी श्रीमती केतुबाई ने तो स्वाधीनता आंदोलन में अपनी भागीदारी के लिए अपना घर ही त्याग दिया था।
इसके अलावा बांसवाड़ा की शंकुतला त्रिवेदी, लक्ष्मणगढ़ की जानकीदेवी बजाज, जोधपुर की गोरजादेवी जोशी, मेवाड़–बूंदी में अंजनादेवी आदि महिलाओं ने खादी, सत्याग्रह व धर्म सुधार आंदोलन के दयानंद सरस्वती से गांधी युग तक के स्वदेशी के आह्वान पर बड़ी तादाद में न सिर्फ गिरफ्तारियां दी बल्कि डूंगरपुर की काली बाई को तो आंदोलन करने पर पुलिस की गोलियां भी खानी पड़ी, जिसमें वे इतनी चोटिल हुईं कि उनकी पसलियां शरीर से बाहर लटक गईं। इस प्रकार महिलाओं की भूमिका किसी भी सूरत में पुरूषों से कम नहीं आंकी जा सकती।
अधिवेशन के प्रथम दिन उद्घाटन समारोह में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गुलाबसिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में बीज भाषण राजस्थान हिस्ट्री कांग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष प्रो. शशि देवड़ा ने दिया। प्रो. नीलिमा वशिष्ठ की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रो. एस .पी. व्यास व डॉ. मनोरमा उपाध्याय ने समस्त अतिथियों का स्वागत किया।
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