मुकेश पूनिया/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश में आगामी चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। चुनावी दस्तक के साथ बीकानेर के सातों विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी जाजम बिछाने के लिए पूरी तरह तैयार है। शासनकाल के अंतिम दौर में भाजपा सरकार के नेतृत्व वाली 14वीं विधानसभा के कुल ग्यारह सत्रों में जिले के सातों विधायकों की सक्रियता का आंकड़ा देखा तो जाये सदन में सवाल उठाने के मामले में लूणकरणसर विधायक मानिक चंद सुराणा सबसे अव्वल रहे। विधायक सुराणा ने १४वीं विधानसभा के सभी सत्रों में अपनी सक्रियता दिखाते हुए सरकार के सामने सवालों की झड़ी लगा दी।
इनके बाद श्रीकोलायत विधायक भंवरसिंह भाटी दूसरे नंबर पर रहे, जिन्होंने सभी सत्रों में बढ़-चढ़ कर सवाल उठाए। जबकि नेता प्रतिपक्ष और नोखा विधायक रामेश्वर डूडी सदन में सवाल पूछने के मामले में सबसे फिसड्डी रहे। डूडी ने ग्यारह सत्रों में एक भी सवाल नहीं पूछा। विधानसभा की वेबसाइट पर डूडी का कोई सवाल पंजीकृत नहीं हुआ है। इनके अलावा बीकानेर पश्चिम विधायक डॉ. गोपाल कृष्ण जोशी, श्रीडूंगरगढ़ विधायक किशनाराम नाई, खाजूवाला विधायक डॉ. विश्वनाथ तथा बीकानेर पूर्व विधायक सिद्धी कुमारी ने भी ग्यारह सत्रों में गिनती के ही सवाल उठाए।
विधानसभा की वेबसाइट पर 14वीं विधानसभा के सभी 11 सत्रों के सूचीबद्ध किए गए सवालों का आंकड़े के अनुसार लूणकरणसर विधायक मानिक चंद सुराणा में सदन में सरकार से ४७० प्रश्न पूछे। सुराणा ने विधानसभा के पहले सत्र से ही सवालों की झड़ी लगानी शुरू कर दी। दसवें सत्र में तो सुराणा ने सरकार से ७८ प्रश्न पूछे। इनके बाद कोलायत विधायक भंवरसिंह भाटी पहली बार विधानसभा पहुंचे थे, शायद इसलिये पहले सत्र में महज एक ही प्रश्न पूछ पाये, लेकिन इसके बाद तमाम सत्रों में बढ़-चढ़ कर प्रश्न पूछे। भाटी ने आठवें सत्र में तो ने प्रश्रों का शतक लगा दिया, यानि सदन पटल पर कुल सौ प्रश्न सूचिबद्ध कराये और जवाब भी तलब किया।
इनके अलावा डॉ. गोपाल कृष्ण जोशी ने अपने पूरे कार्यकाल में विधानसभा सत्रों के दौरान कुल ३९ ही प्रश्न सूचीबद्ध कराये। वहीं बीकानेर पूर्व विधायक सिद्धी कुमार के प्रश्रों का आंकड़ा तो ११ पर अटक कर रह गया। डॉ. विश्वनाथ ने अपने पूरे कार्यकाल में सदन में पूछने के लिये १६ प्रश्र सूचीबद्ध कराये। इसी प्रकार किशनाराम नाई ने सदन के तमाम ११ सत्रों में २० प्रश्र ही पूछे। जबकि रामेश्वर डूडी का आंकड़ा शून्य रहा है, जिन्होंने १४वी विधानसभा के ११ सत्रों में एक भी प्रश्र सूचीबद्ध नहीं कराया।
सत्र शुरू होने से पहले कराना होता है सूचीबद्ध
विधानसभा में नया सत्र शुरू होने से पहले तमाम सदस्यों को अपने प्रश्र सूचीबद्ध कराने होते हंै और फिर सदन में संबंंधित विभाग के मंत्री इन प्रश्रों का उत्तर देते है। सदन में प्रश्र पूछना हर विधायक का नैतिक दायित्व है, इसके बावजूद ज्यादातर विधायक इस मामले में सजगता नहीं दिखाते।
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