Saturday, May 10, 2025
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सीमावर्ती जिलों में चिकित्सा विभाग अलर्ट, रिक्त पद भरे, मंत्री ने जोधपुर व बीकानेर संभाग के अधिकारियों के साथ की समीक्षा

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जयपुर Abhayindia.com चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग आपदा प्रबंधन की दृष्टि से सीमावर्ती जिलों में निरंतर चिकित्सा सुविधाओं एवं अन्य व्यवस्थाओं को सुदृढ़ कर रहा है। किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के ​लिए विभाग माकूल इंतजाम सुनिश्चित कर रहा है। सीमावर्ती जिलों में चिकित्सक, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों को भरने के साथ ही जांच, दवा एवं उपचार के लिए आवश्यक संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा होने के कारण राजस्थान बेहद संवेदनशील राज्य है। प्रदेश के कई जिले अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े हुए हैं। इसे देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग सीमावर्ती जिलों में चिकित्सा सुविधाओं को आवश्यकतानुसार सुदृढ़ कर रहा है।

विभाग ने करीब 336 सीनियर रेजीडेंट एवं 91 स्पेशलिस्ट सीमावर्ती जिलों में तैनात किये हैं। इसी प्रकार 1300 से ज्यादा सीएचओ को सीमावर्ती क्षेत्रों में लगाया है। नर्सिंगकर्मी, फार्मासिस्ट एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ भी आवश्यकतानुसार सीमावर्ती जिलों में नियोजित किया गया है, ताकि वहां स्वास्थ्य सेवाओं में किसी तरह की कमी नहीं रहे। आपात स्थिति उत्पन्न होने पर तत्काल जांच एवं उपचार की सुविधाएं मिल सकें।

वीडियो कॉन्फ्रेंस कर जानी वस्तु स्थिति, दिए निर्देश

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने सीमावर्ती जिलों में समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की दृष्टि से शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर जोधपुर एवं बीकानेर संभाग के जिलों में तैयारियों की समीक्षा की। बैठक में संयुक्त निदेशक जोन, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों सहित अन्य अधिकारियों के साथ चिकित्सा व्यवस्थाओं के लेकर विस्तृत चर्चा की गई।

सभी ग्रुप का ब्लड पर्याप्त मात्रा में रखें, 85 एम्बुलेंस और भेजीं

प्रमुख शासन सचिव ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में जांच, दवा एवं उपचार के आवश्यक इंतजाम तत्काल प्रभाव से किए जाएं। कहीं भी मानव संसाधन की कोई कमी नहीं रहे। जिन जिलों में चिकित्सक, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ की और आवश्यकता है, वे जल्द आवश्यकता से अवगत कराएं। सभी जिलों को सभी ग्रुप के ब्लड का पर्याप्त स्टॉक रखे जाने के निर्देश दिए। साथ ही, आवश्यकता होने पर ब्लड अन्य जिलों में स्थानांतरित किए जाने के लिए भी समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए। सीमावर्ती जिलों में आपात स्थिति से निपटने के लिए 85 एम्बुलेंस और भिजवाई गई हैं।

दवाओं की खरीद के लिए अतिरिक्त फण्ड, स्वास्थ्य कार्मिकों को ट्रोमा मैनेजमेंट प्रशिक्षण

राठौड़ ने कहा ​कि ​दवाओं एवं उपकरणों की समुचित आपूर्ति व पर्याप्त स्टॉक के लिए मैकेनिज्म तैयार किया गया है, ताकि कहीं भी दवाओं की कमी नहीं रहे। सीमावर्ती जिलों को स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद के लिए अतिरिक्त फण्ड भी उपलब्ध करवाया गया है। आपदा प्रबंधन के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं सुगमता से उपलब्ध करवाने की दृष्टि से नर्सिंग एवं पैरामे​डिकल स्टाफ सहित अन्य कार्मिकों को ट्रोमा मैनेजमेंट का ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। राज्य स्तर के साथ-साथ सभी जिलों में नियंत्रण कक्ष संचालित किए जा रहे हैं। सभी स्वास्थ्य कार्मिकों को अलर्ट मोड पर रहने और प्रो-एक्टिव एप्रोच के साथ काम करने के निर्देश दिए गए हैं। उच्च स्तर से लगातार हर स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है।

मुख्यालय से हर स्थिति पर रखी जाए नजर

प्रमुख शासन सचिव ने सीमावर्ती जिलों के सीएमएचओ से संवाद कर वस्तु स्थिति की पूरी जानकारी ली और उनकी आवश्यकताओं के बारे में पूछा। उन्होंने मुख्यालय के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सीमावर्ती जिलों के साथ निरंतर समन्वय रखते हुए ​हर स्थिति पर नजर रखें और आवश्यकता के अनुसार संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

बैठक में खाद्य सुरक्षा आयुक्त एच गुईटे, आरएमएससीएल की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. भारती दीक्षित, अतिरिक्त मिशन निदेशक डॉ. टी. शुभमंगला, निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा, निदेशक अराजपत्रित राकेश शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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