








बीकानेर Abhayindia.com राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के नेशनल प्रेजीडेंट अशोक मैहता ने कहा कि पंजाबी समुदाय ऐसी बहादुर और दूरदर्शी कौम है, जिसने मुगलों के खिलाफ संघर्ष से लेकर देश के स्वतंत्रता आंदोलन तक हर मौके पर देश की आन-बान-शान के लिए कुर्बानियां दीं और आजाद भारत में भी हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा एवं कौशल का लोहा मनवाकर देश की उन्नति में योगदान दिया। अशोक मैहता ने यह बात महासभा की बीकानेर जिला इकाई द्वारा बैसाखी के उपलक्ष्य में रवींद्र रंगमंच पर आयोजित भव्य समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए कही। समारोह के दौरान स्वर्गीय श्रीमती स्वदेश चोपड़ा जी सिलाई सेंटर की स्थापना करने के बाद महासभा ने 75 वर्ष से अधिक आयु के 11 बुजुर्गों को माला, शॉल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस दौरान बच्चों ने मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके समां बांध दिया।
समारोह में महासभा के राष्ट्रीय सलाहकार डा. रमेश मदान, समाजसेवी विनोद पाहवा नारायणगढ़, प्रदेश अध्यक्ष अरविंद मिड्डा, प्रदेश महासचिव सतीश खत्री, संगठन सचिव रमेश आहूजा, बीकानेर जिला अध्यक्ष गोविंद ग्रोवर, संरक्षक जयकिशन गुम्बर, लैफ्टिनेंट कर्नल अनुज बवेजा, महासचिव मुकेश कुमार धूडिय़ा, सचिव राकेश आहूजा, कोषाध्यक्ष जगदीश मदान, वरिष्ठ नेता प्रेम खत्री, शिवबाड़ी मंदिर बीकानेर के पीठाधीश्वर स्वामी विमिशानंद जी महाराज, सागर आश्रम बीकानेर से स्वामी रामेश्वरानंद जी महाराज, स्नातकोत्तर अध्ययन महाविद्यालय के डीन राजेश कुमार धूडिय़ा, शराब बंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा भारती छाबड़ा, भाजपा के पूर्व शहरी अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य, पंजाबी समाज व्यास कालोनी बीकानेर के अध्यक्ष रितेश अरोड़ा, सुनील पाहूजा, अनिल पाहूजा, नरेंद्र खत्री, ओमप्रकाश झाम्ब, जितेंद्र नैयर, चंद्र आहूजा और दीपक पाहूजा आदि शामिल हुए।
अपने संबोधन में अशोक मैहता ने कहा कि मुख्य संरक्षक पदमश्री विजय कुमार चोपड़ा के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय पंजाबी महासभा द्वारा वर्ष 2015 में ‘सत्कार अते सेवा’ का जो अभियान शुरू किया गया था, उसके तहत अब तक बुजुर्गों का सम्मान और महिला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। इसके तहत पंजाब केसरी की पूर्व निदेशक स्वर्गीय श्रीमती स्वदेश चोपड़ा जी की पावन स्मृति में देश के विभिन्न भागों में सिलाई सेंटर, फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट, वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं, जहां से प्रशिक्षण लेकर महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बन रही हैं। इसके अलावा समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शिविरों और रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है। सबसे बड़ी बात यह कि राष्ट्रीय पंजाबी महासभा राजनीतिक तौर पर भी पंजाबी समुदाय से जुड़े नेताओं के हितों की प्रहरी बनकर उभरी है।
अशोक मैहता ने कहा कि राष्ट्रीय पंजाबी महासभा एक बार फिर मांग करती है कि न केवल केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर 1947 के शहीदों की कुर्बानियों को समर्पित शहीदी स्मारक की स्थापना करे, बल्कि राज्य सरकारें अपने राज्यों में पंजाबी वैलफेयर बोर्ड की स्थापना करके पंजाबी समुदाय के हितों की संरक्षक बनें। उन्होंने अपने समुदाय का भी आह्वान किया कि वे अपने बच्चों को पंजाबी समुदाय की गौरवशाली समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत करवाएं और घर में हमेशा पंजाबी भाषा का प्रयोग करें। अपने बच्चों को बताएं कि सिख पंथ को स्थापित करने वाले सभी 10 गुरु पंजाबी समुदाय से ही संबंधित हैं और दशम पातशाही गुरु गोबिंद सिंह जी ने न केवल हिन्दू समुदाय की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की, बल्कि धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार की कुर्बानी देकर दुनिया में अनूठी मिसाल कायम कर दी।
राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद मिड्डा ने कहा कि महासभा की बीकानेर इकाई ने बेरोजगार एवं अल्य आय वर्ग की महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान करके रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने का जो अभियान शुरू किया है, वह इसकी सराहना करते हैं। उनका प्रयास रहेगा कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी इकाइयां गठित करके ऐसे प्रकल्प शुरू किए जाएं, जिनमें बुजुर्गों का सम्मान, आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के बच्चों की शिक्षा और महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने में मदद शामिल हो।
स्वामी रामेश्वरानंद महाराज ने आह्वान किया कि समाज को यह प्रण लेना चाहिए कि हम महिलाओं को पूरा सम्मान देंगे और इसकी शुरुआत अपने परिवार की महिलाओं से करेंगे। नवसम्वत से ही मां भगवती का नवरात्र महोत्सव शुरू हो जाता है और बैसाखी पर नई फसल के आने का एक अलग ही उत्साह होता है। इसलिए महासभा की बीकानेर इकाई ने महिलाओं और बुजुर्गों का सम्मान करने के लिए बहुत उपयुक्त समय चुना है, इसके लिए सभी पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं। अंत में, महासभा की बीकानेर इकाई के अध्यक्ष गोविंद ग्रोवर ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।





