Thursday, March 13, 2025
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बीकानेर विकास प्राधिकरण विधेयक, 2025 ध्वनिमत से पारित, मंत्री ने कहा- क्षेत्र का तीव्र गति से होगा विकास

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जयपुर Abhayindia.com नगरीय विकास राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि राज्य के नगरीय क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ हैं। बीकानेर शहर जनसंख्या (लगभग 9 लाख) की दृष्टि से बड़ा शहर है। यहां पहले से कार्यरत नगर विकास न्यास तीव्र विकास को देखते हुए पर्याप्त नहीं था। इसलिए सुनियोजित विकास के लिए प्राधिकरण का गठन किया गया है। इससे क्षेत्र में आवासन, सामुदायिक सुविधाएं और आधारभूत संरचनाएं मजबूती से धरातल पर उतर सकेंगी। नागरिकों को उच्च गुणवत्तापूर्ण लोक सेवाएं मिलेंगी।

झाबर सिंह खर्रा ने बुधवार को विधानसभा में बीकानेर विकास प्राधिकरण विधेयक, 2025 पर चर्चा के बाद जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि बीकानेर के सुव्यवस्थित विकास में राजकीय विभागों, स्थानीय निकाय और अन्य संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो सके, इसके लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा बजट 2024-25 में बीकानेर विकास प्राधिकरण बनाने के लिए घोषणा की थीं। इसकी अनुपालना में अध्यादेश-2024 लाकर अधिसूचना जारी करते हुए प्राधिकरण गठित किया जा चुका है।

नगरीय विकास राज्य मंत्री ने कहा कि राजस्थान नगर सुधार अधिनियम प्राधिकरण एक्ट व अध्यादेश में न्यासों व प्राधिकरणों में  कार्यरत कार्मिकों की सेवा सम्बंधित प्रावधानों में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। इसमें आयुक्त पद पर भारतीय प्रशासनिक और सचिव पद पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को पदस्थापित किया गया है।

खर्रा ने कहा कि न्यास में राजस्व गांवों की कुल संख्या 90 थी। अब प्राधिकरण के गठन के साथ 98 गावों को और जोड़ा गया है। प्राधिकरण के अंतर्गत बीकानेर शहर, देशनोक, नापासर कस्बा, बीकानेर, कोलायत और नोखा तहसील के कुल 188 राजस्व गांव आ गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक की धारा 4.12 के तहत 7 गैर शासकीय सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा। इसमें विधायक और सांसद भी नामित किए जा सकते हैं। साथ ही, जयपुर विकास प्राधिकरण एक्ट, 1982 में ट्रिब्यूनल के सम्बंध में जो प्रावधान लिखे गए, वैसे ही बीकानेर और भरतपुर विकास प्राधिकरण एक्ट में रखे गए हैं। इन प्राधिकरणों में भी न्यायिक अधिकारी होंगे।

इससे पहले खर्रा ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। सदन में विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

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