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जयपुर Abhayindia.com राजस्थान भाजपा में संगठनात्मक चुनाव को लेकर दिग्गज नेताओं के बीच चल रही खींचतान अब दूर होने वाली है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब पार्टी यहां संगठनात्मक गतिविधियां तेज कर सकती है। आपको बता दें कि भाजपा ने प्रदेश में अब तक 27 जिलों में अध्यक्षों की नियुक्तियां कर दी है जबकि 17 जिलों में नियुक्तियां रूकी हुई है।
पार्टी के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, चुनाव प्रक्रिया फरवरी के पहले सप्ताह तक पूरी हो जानी चाहिए थी, लेकिन आपसी खींचतान के चलते पूरी नहीं हुई। संगठन महासचिव बीएल संतोष के दखल के बाद लॉक और मंडल अध्यक्षों का निर्वाचन किया गया। जिला अध्यक्षों और प्रदेश संगठन के चुनाव अभी तक नहीं हुए हैं। मदन राठौड़ राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं, लेकिन पार्टी संविधान के मुताबिक, फरवरी के पहले सप्ताह में निर्वाचन प्रक्रिया होनी थी। 5 फरवरी तक आवेदन, 6 फरवरी को आवेदन की जांच, 7 फरवरी तक नाम वापसी और फिर जरूरत पडऩे पर 8 फरवरी को चुनाव प्रक्रिया अपनाना तय था। लेकिन, अभी तक यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
हालांकि यह तय है कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ही रहेंगे। निर्वाचन प्रक्रिया एकाध दिन में औपचारिकता के तौर पर पूरी की जाएगी। वे अकेले ही नामांकन दाखिल करेंगे और निर्विरोध निर्वाचन तय है। प्रदेशाध्यक्ष का निर्वाचन तो राष्ट्रीय नेतृत्व तय करता है, लेकिन जिला अध्यक्षों को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में रस्साकशी चल रही है। यही वजह से ही अभी तक 17 जिलों में अध्यक्ष का चुनाव नहीं किया जा सका है। भाजपा में संगठनात्मक दृष्टि से कुल 44 जिले हैं। इनमें से 27 जिलों में जिला अध्यक्षों का चुनाव कर लिया गया।
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