Thursday, December 5, 2024
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ग्रीन आडिट एवं कैम्पस पर कार्यशाला संपन्‍न, 14 विभागों से नामांकित 40 विद्यार्थी बने ग्रीन एम्बेसडर

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बीकानेर Abhayindia.com राजकीय डूंगर महाविद्यालय में बीआईआरसी व आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में ग्रीन आडिट एवं ग्रीन कैम्पस विषय पर चार दिवसीय कार्यशाला का समापन को प्राचार्य डॉ. आरके पुरोहित, मुख्य अतिथि वापी के उद्योगपति पीडी बोहरा, आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. दिव्या जोशी, समन्वयक डॉ. हेमेन्द्र भंडारी एवं 40 विद्यार्थी अंबेस्डर की उपस्थिति में हुआ।

समापन सत्र में अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. आरके पुरोहित ने डूंगर कॉलेज को देश की शैक्षणिक प्रयोगशाला बताते हुए ग्रीन कैम्पस के विभिन्न आयामों को रेखांकित किया। डूंगर कॉलेज में नैक के उपरान्त हुए विभिन्न कार्यों की महत्ता बताते हुए निर्माणाधीन मल्टीफैसिलिटी आडिटोरियम को ग्रीन कैम्पस की दिशा मे मील का पत्थर बताया। मुख्य अतिथि वापी के उद्योगपति पीडी बोहरा, आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. दिव्या जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि डूंगर महाविद्यालय नवाचारों की उद्गम स्थली है और इसी से आज यह कॉलेज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुआ है।

कार्यशाला समन्वयक डॉ. हेमेन्द्र भंडारी ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि चार दिनों में पांच सत्रों में 14 विषयों रसायनशास्त्र, भौतिकशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, जन्तु विज्ञान, भू-विज्ञान, अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, उर्दु, राजनीतिक विज्ञान, लोक प्रशासन, समाजशास्त्र एवं भूगोल के 40 चयनित स्नातकोत्तर विद्यार्थियों व शोधार्थियों को ग्रीन ऑडिट के 10 बिन्दुओं एवं ग्रीन कैम्पस के 20 आयामों पर सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया।

प्रथम सत्र में ग्रीन ऑडिट के सिद्धान्त एवं ग्रीन कैम्पस आधुनिक आवश्यकता विषय पर व्याख्यान हुए। द्वितीय सत्र में प्री आडिट डूंगर कॉलेज में विभिन्न स्थानों पर 7 ग्रुप में की गई। तीसरे सत्र में रिपोर्ट लेखन, गणना एवं ग्रीन आडिट एनईपी 2020 पर चर्चा की गई। चतुर्थ सत्र में कैम्पस सेफ्टी विषय पर चर्चा हुई।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. नरेन्द्र भोजक ने ग्रीन कैम्पस के 20 आयामों पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि प्रत्येक आयाम जैसे- पौधारोपण, जीव रक्षा, कार्बन क्रेडिट, वेस्ट मैनेजमेन्ट, जल संरक्षण, वायु प्रदूषण, ई-वेस्ट, ऊर्जा विनियम, कम्पोस्‍ट फार्मिंग, जैसे प्रत्येक बिन्दु अपने आप में एक विषय है। इन्हीं विषयों के मूलभूत सिद्धान्त, विषय वस्तु, तकनीकी एवं प्रायोगिक अध्ययन को यदि आडिट के नियम एवं गणनाओं में सूचीबद्ध किया जाये तो ग्रीन आडिटिंग की प्रक्रिया होती है। इसमें एटम इकोनोमी के साथ साथ मानवीय व्यवहार एवं संवेदनाएं शामिल की जाये तो एनईपी 2020 का प्रस्फुटन होता है। ग्रीन आडिटिंग एक नया विषय होते हुए प्राचीन परम्पराओं पर आधारित होने के कारण सम्पूर्णता को लिए हुए है। यह संस्टेनेबल विकास का पथ प्रदर्शक है। इस कार्यशाला के माध्यम से चयनित विद्यार्थी ग्रीन आडिटिंग के क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने के साथ साथ सामाजिक विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।

डॉ. दिव्या जोशी ने रिपोर्ट राईटिंग एवं लेखन प्रक्रिया की बारीकियों को उदाहरणों एवं क्रियाकलापों के माध्यम से समझाया अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों द्वारा तीन दिनों से किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कैरिअर पर ध्यान देने एवं निरंतर मेहनत करने पर बल दिया।

डॉ. हेमेन्द्र भंडारी के सानिध्य में सात विद्यार्थियों ने विषय पर प्रस्तावना की प्रस्तुति दी। सर्वागीण विकास के लिए ग्रीन आडिट एवं कैम्पस की आवश्‍यकता को उदाहरणों द्वारा समझाया। 14 विभागों से नामांकित 50 में से 40 चयनित विद्यार्थियों को सात समूहों के अम्बेसडर विद्यार्थी नियुक्त किया गया जिन्होंने जल संरक्षण व मैनेजमेन्ट, ऊर्जा प्रबन्धन, वेस्ट मैनेजमेन्ट, फौना-फ्लोरा एवं बायोडायवर्सिटी, कार्बन फुटप्रिन्ट कैमिकल एवं जेंडर आडिटिंग विषयों पर कार्य शुरू किया। साथ ही ग्रीन कैम्पस एवं एनईपी 2020 विषय पर आज कार्यशाला के अन्तिम दिन चतुष्फ्लकीय शैक्षणिक परीक्षा एवं ग्रीन मूल्यांकन विषय पर विशेष व्याख्यान परिचर्चा सत्र एवं समूह विश्लेषण कार्यक्रम आयोजित किया।

डॉ. एसएन जाटोलिया ने कार्यशाला में शिक्षा प्रणाली एवं एनईपी 2020 के अन्तर एवं समानता को रेखांकित करते हुए एससमेन्ट एवं इवेल्यूशन ने अंतर स्पष्ट किया। ग्रीन कैम्पस सिद्वान्तों के अनुसार गुणवत्ता युक्त शिक्षा को उत्तम एससमेन्ट के आधार पर ही प्रसारित किया जा सकता है। आज की कार्यशाला में ग्रीन एससमेन्ट की विधि को शैक्षणिक प्रयोगशाला के माध्यम से स्थापित किया। शैक्षणिक परीक्षा प्रयोग में चार गुणों के आधार पर मूल्‍यांकन किया गया। प्रथम शिक्षक द्वारा सामान्य प्रश्न पत्र विधि, द्वितीय अभिभावकों द्वारा मूल्यांकन, तृतीय मित्रों व सहभागियों द्वारा मूल्यांकन एवं चतुर्थ स्वमूल्यांकन। इस मूल्‍यांकन को वास्तव में 40 विद्यार्थियों के लिए करवाया गया।

जल संरक्षण व मैनेजमेन्ट

महवीष हुसैन खान, रविन्द्र नायक, पूजा प्रजापत, पूनम राठौड़, गौरव, अर्जुन वर्मा ने डॉ. राजाराम व डॉ. रवि परिहार के नेतृत्व में कॉलेज में संधारित वाटर पाइन्ट, कुएं, मोटर, स्टोरेज टैंक का अवलोकन कर 14 बिन्दुओं का प्रपत्र तैयार किया जिसमें प्रत्येक स्थानध्विभाग में कितना पानी आता है कितना उपयोग होता है, कितना वेस्ट हो जाता है। इसकी गणना करने पर यह ज्ञात किया जायेगा कि प्रतिदिन न्यनूतम कितने लिटर पानी की आवश्यकता होती है एवं पानी का बचाव कर मरूस्थलीय क्षेत्र में जल संरक्षण के उपाय विकसित किये जायेंगे।

ऊर्जा प्रबन्धन

दिपेश शर्मा, मधुश्री, जीनत, मोनिका, हरीश, राजपाल सोलंकी ने डॉ. अक्षय जोशी व डॉ. उमा राठौड़ के नेतृत्व में कॉलेज में विभिन्न प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत जैसे- बिजली, एलपीजी गैस, लकड़ी कोयला आदि के उपभोग पर आधारित 13 बिन्दुओं का प्रपत्र तैयार किया। इसमें प्रतिदिन कक्षाओं में, प्रयोगशाला व ऑफिस में कितनी ऊर्जा की आवश्यकता है एवं इनसे से कितनी ऊर्जा रिन्यूएबल स्त्रोत से प्राप्त हो सकती है गणना कर ज्ञात की जायेगी जिससे ग्रीन एनर्जी का कॉलेज रोडमैप बनाया जा सकें।

वेस्ट मैनेजमेन्ट

फाल्गुनी सोनी, सूजल रांकावत, प्रियंका बोथरा, आरती, मूला राम ने डॉ. महेन्द्र थौरी व डॉ. मधुसूदन शर्मा के नेतृत्व में वेस्ट मैनेजमेन्ट के तीन आयामों सालिड वेस्ट, लिक्विड वेस्ट एवं गैसीय वैस्ट को ध्यान में रखकर कॉलेज की कैंटीन, गार्डन, खेल मैदान, कक्षा सेमिनार हाल, प्रयोगशाला, ऑफिस पार्किंग जैसे स्थल चिन्ह्ति किए जाहां बायोवेस्टि ई-वेस्ट एवं हानिकारक वेस्ट को निकाल कर ग्रीन तकनीक से नष्ट या उपयोग करने के सुझाव बनाए जा रहे है।

फौना-फ्लोरा एवं बायोडायवर्सिटी

महावीर कुमावत, वर्षा, सीमा, राहुल मेघ, गोपाल कुमार, प्रशान्त, विनायक, मुशिरा सैयद, मदन गोपाल पुरोहित, अंकिता, पलक, अकरम, निकिता ने डॉ. रवि परिहार एवं डॉ. अर्चना पुरोहित के नेतृत्व में कैम्पस में विभिन्न पादपों एवं जन्तुओं के श्रेणीवार आडिट की लिस्ट एवं क्रियाकलापों के अध्ययन के लिए 16 बिन्दुओं का प्रपत्र बनाया।

कार्बन फुटप्रिन्ट एवं कैमिकल

शैलजा कुम्‍हार, अमीषा गोदारा, निशा मीना, यशु भाटी, दिव्या, कृष्ण कान्त रंगा, शिवम व्यास, अनीता, ममता, महीपाल ने डॉ. एसके वर्मा व डॉ. एसएन जाटोलिया के नेतृत्व में कार्बन फुट प्रिन्ट एवं कार्बन क्रेडिट की गणना के लिए सूत्र तैयार करने का कार्य प्रारम्भ किया। इन सूत्रों के माध्यम से न केवल ऑक्सीजन, प्राणवायु वरन कार्बन डाईआक्साईड जैसी हरीली गैस के साथ साथ कैंपस ने प्रति सप्ताह अपने वाले वाहनों एवं पदचापों की संख्या के साथ साथ जेन्डर आडिट भी हो सकेगी। सभी टीमें डॉ. एचएस भंडारी प्रभारी जीसीआरसी के सहयोग से कार्य कर रही है एवं कॉलेज की अन्तिम ग्रीन आडिट रिपोर्ट एक माह में बीआईआरसी को सौंप दी जायेगी। कार्यशाला में डॉ. राजाराम, डॉ. एसएन जाटोलिया, डॉ. सुनीता मण्डा, डॉ. राजेन्द्र सिंह की सहभागिता रही। संचालन डॉ. एचएस भंडारी एवं धन्यवाद डॉ. राजाराम द्वारा दिया गया।

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