








बीकानेर Abhayindia.com सात सितंबर (शनिवार) को मध्याह्न काल में चतुर्थी होने से इसी दिन महागणपति चतुर्थी मनाई जाएगी। श्री गणेश पूजन के लिए शास्त्रों में मध्याह्न काल को श्रेष्ठ माना गया है, जो दिन के 11:11 से दोपहर 01:40 तक रहेगा। दिन में 11:28 से दोपहर 01:40 बजे तक वृश्चिक लग्न रहेगा, यह एक स्थिर लग्न है, जोकि श्रीगणेश पूजा के लिए शुभ है। दिन में 11:55 से 12:45 तक अभिजीत श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त व वृश्चिक सुबह लग्न भी रहेगा। इस दिन सुबह 07:40 से 09:00 तक शुभ का चौघड़िया रहेगा, उसके उपरांत दोपहर 12:19 से शाम 5 बजे तक क्रमशः चर, लाभ व अमृत के शुभ चौघड़िये भी विद्यमान रहेंगे।।
श्रीगणेश स्थापना-पूजा विधि
- आप सभी तैयारियां सुबह जल्दी कर लें और ऊपर दिए हुए शुभ मुहूर्त पर भगवान श्री गणेशजी को स्थापित करके पूजा शुरू कर दें। यह समय पूजा शुरू करने का है, उसके बाद आप पूजा कितनी भी देर तक कर सकते हैं वह आप पर निर्भर है।
- भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। अब भगवान गणेश को स्नान कराएं और गंगाजल छिड़कें। मूर्ति के दोनों ओर रिद्धि-सिद्धि के रूप में एक-एक सुपारी रखें।
- भगवान गणेश की मूर्ति के दाईं ओर जल से भरा कलश रखें।
- हाथ में अक्षत और फूल लेकर गणपति बप्पा का ध्यान करें और ये उन्हें समर्पित करें, गणेशजी के मंत्र “ॐ गं गणपतये नम:” मंत्र का जाप करें।
कुछ विशेष उपाय
- गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के पूजन में घी और गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद गणेश अर्थवशीर्ष का पाठ करें। पूजन करने के बाद घी और गुड़ गाय को खिला दें और फिर इच्छानुसार गरीब व जरूरतमंद को दान करें।
- गणेश चतुर्थी के दिन 22 दूर्वा को एक साथ जोड़ लें और 11 जोड़े तैयार कर लें। ध्यान रहे कि एक गांठ दो दूर्वा से बनती है। इसके बाद 11 गांठों को भगवान गणेश के माथे से छूकर चरणों में अर्पित कर दें। इसके बाद इत्र, फूल, दीप, धूप आदि चीजें अर्पित कर दें। इस प्रक्रिया को आप अनंत चतुर्दशी तक करते रहें। ऐसा करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
भगवान गणेश की पूजा में विशेष ध्यान रखने योग्य :– श्री गणेश चतुर्थी के दिन शास्त्र मतानुसार चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। श्री गणेश जी को तुलसी पत्र भी अर्पित नहीं करना चाहिए।

-मोहित बिस्सा, ज्योतिषाचार्य, 7976099812





