Friday, September 20, 2024
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अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आरक्षण को लेकर मंत्री गहलोत का बड़ा बयान, बताया- कैसे होगा निर्णय…

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जयपुर Abhayindia.com सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को आरक्षण संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत प्रदत है। केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए अनुच्छेद 341 और 342 के अंतर्गत केंद्रीकृत सूची का समूह बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें उप वर्गीकरण का प्रावधान नहीं है, ना ही क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संबंध में केंद्र सरकार जो भी अंतिम निर्णय लेगी, राज्य सरकार द्वारा उसी अनुसार कोई कदम उठाए जा सकते है।

उन्होंने एक अगस्त, 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण से संबंधित दिए गए फैसले पर कहा कि वर्ष 2004 में उच्चतम न्यायालय ने चेनाईया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार के प्रकरण में निर्णय दिया था कि संविधान में जो अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातीय दर्ज हैं उनको विभाजित नहीं किया जा सकता एवं यदि ऐसा किया जाता है तो यह संविधान के विरुद्ध होगा। अब सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्य पीठ ने इस निर्णय को बदल दिया है एवं यह स्पष्ट कर दिया है कि सभी एसटी एवं एससी जाति एक समान नहीं है। इनमें से कुछ जातियां और जनजातियां गत वर्षों में मिले आरक्षण के लाभ के कारण सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से अन्य के मुकाबले में अधिक बेहतर स्थिति में आ गई है। इसके फल स्वरुप आरक्षण का अधिकांश लाभ इन्हीं जातियों ने लेना प्रारंभ कर दिया है और अन्य कई जातियों को लगभग नगण्य लाभ मिला है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार उप वर्गीकरण का अधिकार राज्य सरकार को है। न्यायालय ने कहा है कि बिना वस्तुनिष्ठ आंकड़े इकट्ठे किए और बिना विश्लेषण और विवेचना की उप वर्गीकरण नहीं किया जाना चाहिए।

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