सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है। इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है? इसका कारण सालों से खोजा जा रहा है, खोज तो पूरी कब होगी ईश्वर जाने। वहीं, युवाओं में बढ़ता अवसाद समाज के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि इसकी चपेट में आने वाली पीढ़ी ही देश की नई उम्मीद है। इससे बचाव का सबसे बेहतर उपाय सतर्कता ही हो सकती है। वर्तमान में बेरोजगारी कई समस्याओं की जड़ है, पर रोजगार में लगे युवाओं की निराशा के भी भयानक परिणाम निकल रहे हैं। ऐसी घटनाएं असल में रोजगार की मुश्किलों के कारण लोगों में बढ़ती निराशा और डिप्रेशन की स्थितियों का खुलासा करती है। वेस्टर्न कल्चर से प्रभावित वातावरण, फैशन के प्रति बढ़ते मिथ्या मोहाकर्षण के जाल में जकड़कर डिप्रेशन का शिकार बन रहे हैं।
यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति सम्पूर्ण भारतीय समाज और हमारी आदर्श संस्कृति के लिये ठीक नहीं है। जिस देश में आदि गुरु शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, परमहंस योगानंद, भगत सिंह जैसे युवा हो उस देश के ही युवा यदि अवसाद से ग्रसित हो तो यह बहुत ही चिंताजनक हालात है। इस स्थिति में हम चिकित्सकीय सेवाओं के अलावा कुछ वास्तु दोषों को ठीक करके डिप्रेशन से मुक्ति का रास्ता निकाल सकते है।
क्या कहता है वास्तु विज्ञान...
वास्तुशास्त्रियों ने अपने वर्षों के अनुभव से कुछ निष्कर्ष पर पहुचे है। उनमें से कुछ कारण है जिनका समय रहते निराकरण कर लिया जाए तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। वास्तु के अनुसार, तनाव में रहने वाले व्यक्ति को कभी उत्तर दिशा में सिर करके नहीं सोना चाहिए, इससे तनाव में वृद्धि होती है। घर में लगे जाले भी मानसिक तनाव को बढ़ाते है। इसीलिए घर में लगे जालों को हटा देना चाहिए। तनाव का एक यह भी कारण है कि रेस्ट व बेड रूम में हिंसात्मक चित्र नहीं होंने चाहिये। बॉडी बिल्डर वाली तस्वीर व तलवार इत्यादि की तस्वीर भी नहीं होनी चाहिए। यह अनुभव किया गया है कि पहाड़ व नदी की तस्वीर ड्राइंग रूम में रखने से जीवन तनाव मुक्त व खुशहाल रहता है। यदि हम ऐसे ही कमरे में सोते हैं जिसमें सीलन आ रही है तो वह भी मानसिक तनाव या अवसाद का कारण बनता है। कई मामलों में देखा गया कि लोग ऐसी जगह सोते हैं जिसके ऊपर बीम हो तो वह भी भयंकर अवसाद का कारण होता है।
ईशान कोण व्यवस्थित होना चाहिए, वहाँ कचरा या कचरापात्र बिलकुल भी नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा अगर होता है तो यह अवसाद होने का बहुत बड़ा कारण है। यदि आपके घर में टेबल पर दवाओं का ढेर लगा रखा हो तो इसे तुरंत हटा देना चाहिए। इसके अलावा दवाओं को बिखरने और यहां वहां गिरने न दें। यह भी अवसाद का एक मुख्य कारण है।
वास्तु के अनुसार, घर में कभी भी टूटे बर्तन नहीं रखने चाहिए। अन्यथा इससे नेगेटिव ऊर्जा बढ़ती है। इसलिए अगर कोई बर्तन टूट जाए तो उसे तुरंत ही हटा देना चाहिए। कुछ लोग बेडरूम में एल्कोहल का प्रयोग करते है, लेकिन ऐसा करने से तनाव बढ़ता है। बेडरूम में एल्कोहल के इस्तेमाल से डरावने सपने आते है। साथ ही व्यक्ति को कई रोग जकड़ लेते हैं।
घर मे रखी घड़ी कभी बंद नहीं होनी चाहिए। घड़ी जैसे ही बंद हो उसको ठीक करें या नई घड़ी घर में ले आएं। अनुभव कहता है कि बंद घड़ी अवसाद तथा मानसिक अशांति बढ़ाते हैं।
घर का उत्तर पूर्व भाग स्वच्छ हो, उसमें भरपूर रोशनी आती हो। उत्तर पूर्व दिशा नकारात्मकता के नाश करने वाले शिव का निवास स्थान है और वैदिक ज्योतिष में इसका शासन गुरु या बृहस्पति द्वारा होता है, जो विकास और विस्तार का ग्रह है।
वास्तु के अनुसार, बेडरूम में भूलकर भी आईना या ड्रेसिंग टेबल नहीं रखना चाहिए। यदि आपके पास इसका कोई विकल्प न हो तो आप उसमें परदा लगाएं। शयनकक्ष में टीवी भी नहीं होना चाहिए। यहां लगाना मजबूरी है तो उपयोग करने के बाद किसी परदे से ढक दें।
वास्तु के अनुसार, घर का ब्रह्म स्थान या फिर आंगन आदि कभी टूटा-फूटा नहीं होना चाहिए और न ही इस स्थान पर कूड़ा-कबाड़ या फिर भारी चीजें रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार, इस नियम की अनदेखी भी अनचाहे तनाव का कारण बनती है। तनाव से बचने के लिए 108 बार नमः शिवाय का जाप करें व शिव को जल अर्पित करें इससे नेगेटिविटी दूर होती है। -सुमित व्यास, एम.ए. (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431