जोधपुर Abhayindia.com राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश अरूण भंसाली ने राजस्थान वन सेवा के अधिकारी का कार्यमुक्त नहीं करने का अंतरिम आदेश पारित किया है। ज्ञानचंद जो राजस्थान वन सेवा के अधिकारी है व वर्तमान में वर्ष 2019 से उप वन सरंक्षक नागौर के पद पर पदस्थापित है। विभाग के आदेश 04/12/2019 को ज्ञानचंद का पदस्थापन उप वन संरक्षक नागौर के पद पर हुआ व इसी क्रम में उन्होंने 09.12.2019 को कार्यग्रहण किया। इनके कार्यग्रहण के बाद 20.06.2023 के आदेश से उनके स्थान पर किसी अन्य भारतीय वन सेवा अधिकारी का स्थानांतरण कर दिया गया मगर प्रार्थी को कहीं पर भी पदस्थापन नहीं किया गया। विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थी ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका प्रस्तुत की।
प्रार्थी के अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा का न्यायालय के समक्ष यह तर्क था कि प्रथमतया प्रार्थी उप वन संरक्षक नागौर के पद पर वर्ष 2019 से निर्बाध रूप से कार्य कर रहा है। प्रार्थी का वर्तमान स्थान पर कार्यरत होने के बावजूद व प्रार्थी का कहीं भी स्थानांतरण नहीं करने के बावजूद अप्रार्थी का स्थानांतरण आदेश 20.06.2023 से प्रार्थी के स्थान पर कर दिया गया। प्रार्थी के अधिवक्ता का आगे यह तर्क था कि मार्च 2024 में प्रार्थी सेवानिवृत भी होने वाला है तथा उसका कहीं भी स्थानान्तरण नहीं किया गया है। प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए उच्च न्यायालय ने प्रार्थी की रिट याचिका को अंतरिम रूप से ग्राहय करते हुये मुख्य वन सरंक्षक व सचिव वन विभाग तथा सह सचिव कार्मिक विभाग को नोटिस जारी करते हुए विभाग के आदेश 20.06.2023 के अनुसरण में प्रार्थी को कार्यमुक्त नहीं करने का आदेश पारित किया।