बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी हीरालाल शर्मा ने कहा है कि सात दशक के बाद देश के वर्तमान हालात को देखकर फिर से सत्याग्रह करने का मन बन रहा है। आज सत्ता की राजनीति ने नफरत, भय और आतंकवाद के साथ जातीय व धर्मान्धता के नाम पर लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर कर दिया है।
94 वर्षीय शर्मा रविवार को अपने निवास पर आजाद परिवार की ओर से उनके सम्मान में आयोजित अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आजादी के लिए संघर्ष करते समय कभी भी यह नहीं सोचा था कि जाति व धर्म के आधार पर हमारी सामाजिक समरसता और भावात्मक एकता को कमजोर कर दिया जाएगा।
शर्मा ने कहा कि भारतीय समाज के गठन के केंद्र में धर्म और जाति है। यदि धर्म और जाति की चूलों को हिलाया जाएगा तो सामाजिक ताना-बाना बिखर जाएगा। देश को शताब्दियों तक गुलामी के दौर से गुजरना पड़ा, उसके मूल में जाति और धर्म ही प्रमुख कारण थे जिन्होंने कभी भी भारतीय समाज को एक नहीं होने दिया। आजादी के संघर्ष के समय महात्मा गांधी की रहनुमाई में देश के असंख्य नर-नारियों ने जाति और धर्म की दीवारों को तोड़कर ‘एक राष्ट्र एक प्राणÓ की भावना के साथ आजादी के लिए त्याग, बलिदान और संघर्ष किया। वर्तमान हालात में आजादी को बरकरार रखने के लिए सभी को एकजुट होकर सबको साथ लेकर आगे बढऩा होगा।
गहलोत में नजर आ रही आशा की किरण
शर्मा ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर अशोक गहलोत में एक आशा की किरण नजर आ रही है। गांधीवादी विचारों से ओत-प्रोत गहलोत सत्य और अहिंसा पर आधारित राजनीति के पक्षधर हैं। वे सबको साथ लेकर और सबके कल्याण के लिए कार्य करने में विश्वास रखते हैं। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दी है। मुझे उम्मीद है कि वे अपनी जिम्मेदारी को राष्ट्रहित में पूरा कर देश और प्रदेश को आगे बढ़ाने की दिशा में अच्छा योगदान कर सकेंगे।
शर्मा ने सुनाए संघर्ष के संस्मरण
बीकानेर में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े अपने संस्मरण का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा कि तत्कालीन रियासती शासकों द्वारा आंदोलनकारियों पर दमनात्मक कार्रवाइयां की जाती थी। इनके विरुद्ध जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी वैद्य मघाराम शर्मा और उनके पुत्र रामनारायण शर्मा ने भूख हड़ताल कर प्रतिरोध किया। जब पंडित जवाहर लाल नेहरू जेल से रिहा हुए और उन्हें बीकानेर में आंदोलनकारियों के साथ की जा रही दमनात्मक कार्रवाइयों की जानकारी दी गई तो उन्होंने बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री के. एम. पन्निकर से जवाब तलब किया और उनका अनशन तुड़वाकर रिहा करने के लिए कहा। शर्मा ने बीकानेर षड्यंत्र केस और कांगड़ कांड से जुड़ी घटनाओं का भी जिक्र किया और कहा कि इन दोनों प्रकरणों में आंदोलनकारियों को अमानवीय यातनाएं दी गई थी।
आजाद परिवार ने किया सम्मान
इस मौके पर आजाद परिवार की ओर से किशन कुमार आजाद, पत्रकार श्याम शर्मा, गुलाम मुस्तफा, नारायण दास आचार्य, दिनेश व्यास, खुशालचंद व्यास, रोहित गहलोत आदि ने शॉल ओढ़ाकर व श्रीफल भेंट कर शर्मा का अभिनंदन किया।
मैं अभी तक जवान हूं : शर्मा
मैं अभी भी जवान हूं और आगे भी रहूंगा। आजादी के लिए संघर्ष किया है, इससे बरकरार रखने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करने को तैयार हूं। 94 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी हीरालाल शर्मा ने आजाद परिवार की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में भावुक होते हुए कहा कि उम्र के ढलान पर भी मेरा जज्बा आज भी कम नहीं हुआ है। आज आप सब लोगों ने आकर मेरे जोश को चार गुना बढ़ा दिया है। आप सभी देश के प्रति अपने कर्तव्य की पालना करते रहेंगे, इसी से हमारा संघर्ष सार्थक रहेगा।