Sunday, May 19, 2024
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रियासतकालीन कुओं की क्‍यों नहीं ली जा रही सुध? फिर से चालू करने की उठी मांग

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बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर में वर्षों बंद रियासतकालीन कुओं को फिर से चालू करने की मांग उठने लगी है। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता चौरू लाल सुथार ने संभागीय आयुक्त, कलक्टर को अलगअलग पत्र देकर अवगत कराया है कि आज बीकानेर वासियों का सारा जीवन इंदिरा गांधी नहर के पानी पर ही टिका हुआ है। इस नहर की मरम्मत का कार्य हर साल होना है व करीब दो महीनों से ज्यादा नहरबंदी के कारण हर साल यहां के वासियों को पानी की जबरदस्त किल्लत झेलनी पड़ती है। ऐसे समय में यदि नहरी पानी के साथसाथ कुछ रियासतकालीन कुएं चालू होते तो आज जो पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है वो नहीं झेलनी पड़ती। क्योंकि रियासतकालीन कुएं आज भी शहर की प्यास बुझाने में सक्षम हैं। सुथार ने बताया कि जलदाय विभाग की उदासीनता के चलते कुएं फिर से चालू करने की कार्यवाही सिरे नहीं चढ़ रही। इसके लिए हालांकि, सर्वे भी हुआ व प्लान भी बना लेकिन सारी कवायद ठंडे बस्ते की भेंट चढ़ गई।

सुथार ने बताया कि फरवरी 2021 में तत्कालीन जलदाय मंत्री बी.डी. कल्ला ने तीन ट्यूब वेल स्वीकृत किये थे जिनमें मात्र एक ट्यूबवेल घेरुलाल के पास तो बना कर चालू भी कर दिया गया लेकिन सोनगिरि कुएं व रघुनाथसर कुएं के स्वीकृत ट्यूबवेल आज तक नहीं बने व स्वीकृत राशि न मालूम कहां लगी पता नहीं। सुथार ने पुनः हर साल हो रही नहरबंदी को ध्यान में रखते हुए बीकानेर शहर में बंद पड़े प्राचीन कुओं का सर्वे करवाकर जो चालू हो सकने की स्थिति में है उन्हें अगली नहरबंदी से पहले चालू कराने की मांग की है। उन्‍होंने कहा है कि जहांजहां शहर में ओवरहेड पानी की टंकियां हैं उन्हीं के पास ट्यूबवेल स्थापित किये जाए ताकि उनसे टंकियों को भरा जा सके।

सुथार ने बताया कि अगर नहर कहीं से ध्वस्त हो जाए या टूट जाए या किसी कारणवश ऐसी विपदा खड़ी हो जाए तो उस स्थिति में पूरे शहर को पानी आपूर्ति की क्या वैकल्पिक व्यस्था है एक विचारणीय बिंदु है। इसलिए ऐसी स्थिति मे नहरी पानी के साथसाथ प्राचीन कुओं व ट्यूबवेल की भी महती आवश्यकता है। जिला प्रशासन को इस पर गहनता से विचार कर पुराने कुओं को पुनः चालू करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजना चाहिए ताकि भविष्य में आमजन के साथसाथ जिला प्रशासन व जलदाय विभाग को राहत मिल सके।

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