





बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। केंद्र व राज्य सरकार भले ही डिजिटल इंडिया के सपने देख रही है, लेकिन सरकारी महकमे ही उनके सपनों को धूमिल कर रहे हं। बीकानेर के जिला प्रशासन का सरकार के पेपरलेस व डिजीटलाइजेशन के नारे से कोई लेना-देना नहीं है। जिले का आईटी विभाग पिछले दो माह से जिला प्रशासन की वेबसाइट को अपडेट करना ही भूल गया। जिला प्रशासन की वेबसाइट पर कई अधिकारियों के तबादले होने के बावजूद भी वे जिले के अधिकारी बने हुए है। वेबसाइट आज भी उनको अफसर बता रही है। आम लोग जब वेबसाइट पर दर्शाए अधिकारियों को फोन मिला रहे है, तो उनको जवाब मिलता है कि उनका तबादला कई माह पहले बीकानेर से हो गया है। ऐसे में आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोगों को संबंधित अधिकारी से सूचना नहीं मिल पा रही है। लेकिन दो माह गुजर जाने के बाद भी आई विभाग का इस ओर ध्यान नहीं गया है।
खास बात तो यह है कि बीकानेर पुलिस रैंज आईजी रहे विपिन कुमार पांडे का तबादला हुए एक माह बीत चुका है और उनकी जगह आईएएस दिनेश एमएन ने यहां जिम्मा संभाल लिया है, लेकिन जिला प्रशासन की वेबसाईट पर आज भी आईजी के तौर विपिन पांडे का नाम दर्ज है। इनके अलावा जिले के कई उपखंड अधिकारियों का तबादला हुए महिनेभर से ज्यादा हो चुका है, लेकिन जिला प्रशासन की वेबसाईट पर बीकानेर से रूख्सतगी ले चुके उपखंड अधिकारियों के नाम नहीं हटाये गये है।
इसी प्रकार सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी का यहां से तबादला हुए एक माह बीत चुका है और उनकी जगह डॉ. बी. एल. मीणा ने सीएमएचओ का जिम्मा भी संभाल चुके है, लेकिन जिला प्रशासन की वेबसाईट पर सीएमएचओ के तौर पर आज भी डॉ. देवेन्द्र चौधरी का नाम दर्ज है। इनके अलावा भी दर्जनों अधिकारियों का इसके बावजूद वेबसाइट ने आज भी इन्हें जिले में अधिकारी बनाए रखा है।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि बीकानेर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर रहे पीसी मावर तो सेवानिवृत हो चुके है, लेकिन जिला प्रशासन की वेबसाईट पर उनका नाम, मोबाईल नंबर और ई-मेल एड्रेस आज भी बतौर अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के रूप में दर्ज है। इनके अलावार भी बीकानेर से कई अधिकारियों का स्थानांतरण होने के बाद जिला प्रशासन की वेबसाईट पर उनके नाम और मोबाईल नंबर दर्ज है। वजह यह कि यहां स्थानातंरित हो चुके अधिकारियों के नाम अपडेट करना ही प्रशासन का आइटी विभाग भूल गया है।
जिला प्रशासन की वेबसाइट पर देखकर कई लोग अधिकारी को संपर्क करते है, लेकिन जवाब मिलता है कि उनका तो तबादला हो चुका है। इसके अलावा संबंधित अधिकारियों को आरटीआई का आवेदन करते हैं, लेकिन अधिकारियों के नाम गलत होने की स्थिति में यह शिकायत संबंधित तक पहुंचती ही नहीं है। ऐसे में अधिकारी को पता ही नहीं चलता है कि कोई आवेदन आया भी है। वहीं, दूसरी तरफ शिकायतकर्ता या आरटीआई कार्यकर्ता को भी पता नहीं चलता है कि उसकी शिकायत कहां तक पहुंची।
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