अभय इंडिया डेस्क. फिल्म पदमावती को लेकर जारी विवाद के बीच यह जानना रोचक होगा कि अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती की पहली झलक कहां देखी थी। यह घटनाक्रम चितौड़ के पद्मिनी पैलेस का है, जहां का एक कमरा बंद पड़ा है। जानें इसके बारे में –
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी ्रस्ढ्ढ के मुताबिक, खुद राणा रतन सिंह ने इस किले के जल महल और कांच के जरिए रानी पद्मावती की एक झलक खिलजी को दिखाई थी।
पहली बार में ही रानी पद्मावती को देख खिलजी उनकी सुंदरता का दीवाना हो गया था। चितौड़ के कीले स्थित रानी पद्मावती वो कमरा अब बंद कर दिया गया है और वहां तीन सुरक्षागार्ड तैनात कर दिए गए हैं। जब खिलजी ने पद्मावती को पहली बार कांच और झील के पानी के जरिए देखा था, तब रानी इसी कमरे में थीं। इस साल मार्च में राजपूत करणी सेना ने किले के रखे कांच तोड़ दिए थे। उनका कहना है कि सन् 1303 में कांच थे ही नहीं, तो खिलजी ने कैसे कांच के जरिए पद्मावती को देख लिया। करणी सेना का दावा है कि 60 साल पहले जवाहरलाल नेहरू के यहां आने से पहले ये कांच लगाए गए थे, जिनका इतिहास से कोई वास्ता नहीं।
संजय लीला भंसाली की इस फिल्म का विरोध करने वाले राजपूत संगठनों का कहना है कि खिलजी और रानी पद्मावती के बीच कभी कोई बातचीत नहीं हुई। दिलचस्प बात यह भी है कि विवाद सामने आने के बाद चितौड़ कीले के टूरिस्ट गाइड ने भी अपनी कहानी बदल ली है। अब तक जो गाइड अपनी कहानियों में कांच का जिक्र करते थे, वो भी कहने लगे हैं कि खिलजी ने कभी पद्मावती को नहीं देखा।
स्थानीय लोग तो रानी पद्मावती को देवी का रूप मानते हैं। वे मानने को तैयार नहीं हैं कि किसी पराए पुरुष ने कभी रानी को देखा होगा। जब खिलची ने आक्रमण किया था, तब 16 हजार महिलाओं ने जौहर किया था। स्थानीय लोग कहते हैं, इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपनी जान यूं ही नहीं दे दी। संजय लीला भंसाली की इस फिल्म को लेकर शुरू से तरह-तरह की बयानबाजी हो रही है। फिल्म बिरादरी पद्मावती और खिलजी के अपने प्रसंग को सही करार दे रही है, वहीं राजपूत समाज फिल्म को किसी कीमत पर रिलीज नहीं होने देने की बात कर रहा है। देखना यही है कि क्या 1 दिसंबर को ‘पद्मावती’ रिलीज हो पाती है या नहीं।