








बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर रियासत के समय राजा-महाराजाओं की ओर से बनवाये गए भवन अब देखरेख व जीर्णोद्वार के अभाव में जर्जर हालत में पहुंच गए है। इस संबंध में सोनगिरी कुआं क्षेत्र निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चौरू लाल सुथार ने संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन और कलक्टर भगवती प्रसाद को ज्ञापन देकर इन्हें दुरुस्त कराने की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्त्ता सुथार ने ज्ञापन में बताया कि को प्रस्तुत कर अवगत कराया कि बीकानेर रियासत काल में 1922 ई. में महाराजा द्वारा पब्लिक पार्क में एक विशाल लाल पत्थरों से युक्त भवन का निर्माण करवाया गया जिसमें हाई कोर्ट की स्थापना की गई। साथ ही इस भवन में विभिन्न न्यालालयों की भी स्थापना की गई। तराजुनुमा बने इस भवन के ऊपरी तल में हाई कोर्ट की स्थापना की गई व नीचे के तल में अधीनस्थ न्यायालयों की स्थापना की गई। वर्तमान में इस बिल्डिंग मे जिला कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालयों के अलावा कई अन्य कार्यालय संचालित है।
सुथार ने बताया कि यहां जो न्यायालय थे उनको तो नए बने भवन में शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन, दुःख का विषय है कि बीकानेर रियासत के समय राजा महाराजाओं द्वारा बनवाये गए इस भवन की देखरेख व जीर्णोद्वार के अभाव में यह भवन अपनी दुर्दशा की ओर अग्रसर हो रहा है। इस बिल्डिंग के चारों दिशाओं में चार बड़े पोर्च बने हुए है जहां पर अधिकारियों की गाड़ियां खड़ी रहती थी, उन्हीं चार पोर्चों में से पूर्व दिशा के पोर्च की ऊपर की पट्टियाँ टूट चुकी है व नीचे की पट्टियाँ भी टूटने के कगार पर है। यही स्थिति उत्तर दिशा में बने पोर्च की है जो जबरस्त सीलन की चपेट में आ चुका है व कभी भी गिर सकता है। इसी तरह पश्चिम में बने पोर्च की है वह भी जबरदस्त सीलन की चपेट में आ चुका है। मात्र दक्षिण में बने पोर्च व उसके नीचे व ऊपर के भाग की मररमत कर इसका तो जीर्णोद्वार किया गया है लेकिन इस बिल्डिंग का दो तिहाही भाग के समस्त हिस्से की मररम्मत व जीर्णोद्वार की नितांत आवश्यकता है लेकिनइसके अभाव में इस बिल्डिंग को गिरने से बचा पाना अत्यंत ही मुश्किल है।
सुथार ने कहा कि राजा महाराजाओं के समय मे उत्कृष्ट कलात्मक शैली व कुशल कारीगरों द्वारा निर्मित ऐसा भवन आज के इंजीनियरों व कारीगरों के बस की बात नहीं है इसलिए समय रहते इस ऐतिहासिकबिल्डिंग को बचाना बहुत ही जरूरी है क्योंकि कचहरी भवन बीकानेर की शान है। सुथार ने जिला प्रशासन से आग्रह किया कि उक्त भवन के ऊपर छत से लेकर अंदर व नीचे तक पूरा सर्वे करवाकर इसके पूर्ण मररम्मत करवाने व इसके जीर्णोद्वार करवाया जाए।





