Sunday, May 11, 2025
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नरसिंह नाम निर्मल है, रटो सदा भरपूर…, जानें- नरसिंह जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व…

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श्री नरसिंह जयंती हिंदुओं के बीच अत्यंत शुभ त्योहार माना जाता है। इस विशेष दिन भगवान विष्णु अपने चौथा अवतार नरसिंह के रूप में अवतरित हुए थे। यह पर्व जीवन से किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को नकारने और बुरे कामों के साथ-साथ अन्याय से दूर रहने के लिए मनाया जाता है। यह वैशाख मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह कहा जाता है कि यदि कोई दूसरों के प्रति शत्रुता दिखाता है तो उस व्यक्ति को इस दिन भगवान नरसिंह श्रद्धापूर्वक याद करना चाहिए।

नरसिंह जयंती के दिन उपवास करने वाले भक्तों को सुविधा अनुसार तिल या सोने जैसी चीजों का दान करना चाहिए, नरसिंह जयंती में आध्यात्मिक महत्व के कई परतें हैं भगवान नरसिंह को अपनी आस्था के लिए उत्पीड़न का सामना करने वाले भक्तों के रक्षक के रूप में पूजा जाता है भगवान विष्णु के प्रति प्रहलाद की अटूट भक्ति देवी शक्ति में आस्था और विश्वास के महत्व को उजागर करती है।

हिंदू धर्म ग्रंथों में हनुमान जी के पंचमुख स्वरूप में एक मुख नरसिंह का भी है। भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार भारत के दक्षिणी राज्यों में मूर्तियों के रूप के साथ तमिलनाडु तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लोकप्रिय है। नरसिंह की पूजा दक्षिण भारत में सहस्त्राब्दियो से मौजूद है। पल्लव राजवंश ने इसकी प्रथाओं को लोकप्रिय बनाया हर साल नरसिंह जयंती पर एक पारंपरिक लोक नृत्य होते है। इसी प्रकार का मेला राजस्थान में बीकानेर में भी प्रतिवर्ष भरता है जिसमें लाखों श्रद्धालु आकर के श्रद्धा-विश्वास से भगवान के दर्शन करते हैं। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह नाटकों के माध्यम से भगवान से स्वरूप का अवतार लिया जाता है, नरसिंह जयंती पर सभी को श्रद्धा पूर्वक भगवान के इस अवतार का स्मरण करना चाहिए।

नरसिंह जयंती का शुभ मुहूर्त,
पूजा विधि और महत्व

नरसिंह जयंती के दिन भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। नरसिंह जयंती वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। दक्षिण भारत में वैष्णव भक्त विशेष रूप से नरसिंह भगवान की आराधना करते हैं। नरसिंह भगवान को संकट हरने वाले भगवान के रूप में पूजते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अगर आपके जीवन में कोई कष्ट है, या संकट है, किसी प्रकार का आर्थिक संकट है या शत्रु से दुखी हैं तो नरसिंह भगवान की पूजा से इन बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आइए, जानते हैं नरसिंह की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नरसिंह भगवान का स्वरूप…

कैसे करें भगवान नरसिंह देव 
की पूजा अर्चना का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ : मई 10, 2025 को 05:32पीएम

चतुर्दशी तिथि समाप्त : मई 11, 2025 को 08:05पीएम रात्रि तक

श्री नरसिंह जयंती सूर्यास्त काल व्यापनी वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है।

यथा बैशाखशुक्ल चतु्शी नृसिहजयंती।
सा सूथास्तमयकालब्यापिनी ग्राहा ||
दिन-दवयेतब्यामौ| समीप , तदव्यामौ वा परैव।
स्वाति-नक्षत्र-शनिवारादियोगे सातीव- प्रशस्ता”।|

धर्मसिन्धु के अनुसार, यदि वैशाख शुक्ल चतुर्दशी सूर्यास्त के समय दो दिन व्याप्‍त हो तो यह जयंती दूसरे दिन मनानी चाहिए। इस वर्ष वैशाख शुक्ल चतुर्दशी दिनांक 10, 11 मई को दो दिन सूर्यास्त ब्यापिनी है अतः उपरोक्त निर्णय अनुसार नृसिह जयंती व व्रत द्सरे दिन अ्थात् 11 मईं रविवार को स्वाती नक्षत्र मे मनाना शास्त्र सम्मत व विशेष प्रशंसनीय रहेगा।

नरसिंह भगवान का स्वरूप

पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरसिंह भगवान को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। उनका आधा रूप मानव का है और आधा सिंह का है। दक्षिण भारत में वैष्णव सम्प्रदाय के लोग उनकी पूजा करते हैं। उनका मानना है कि संकट के समय में नरसिंह भगवान उनकी रक्षा करेंगे।

नरसिंह भगवान की पूजा विधि

नरसिंह जयन्ती पर संध्या काल में भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन स्नान के बाद पूजाघर की साफ सफाई करें। नरसिंह भगवान की स्तुति करें। भगवान नरसिंह को जल, प्रसाद, फल और पुष्प अर्पित करें। भगवान विष्णु पीतांबर प्रिय है इसलिए नरसिंह भगवान को पीताम्बर चढ़ाएं।

Mohit Bissa
Mohit Bissa, Astrologer, Bikaner

मोहित बिस्सा, ज्योतिषाचार्य, बीकानेर

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