बीकानेर Abhayindia.com जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री मृगावतीश्री म.सा. व नित्योदयाश्री ने मंगलवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में प्रवचन में कहा कि देह का आधार श्वास, समाज का आधार विश्वास और आत्मगुणों का आधार सद्गु णों की सुहास है।
उन्होंने कहा कि श्वास के बिना व्यक्ति एक पल भी नहीं रह सकता। श्वास सबसे जरूरी होने से परमात्मा ने सर्व सुलभ कर रखा है। कोई भी कहीं भी बैठकर श्वास ले सकता है। श्वासों की डोर आत्मा-परमात्मा के साथ बंधनी चाहिए। समाज में कार्य, व्यवहार के लिए विश्वास जरूरी है। किसी व्यक्ति का विश्वास टूट जाने से मूल्य जीरो हो जाता है। आत्मा के लिए सद्गुण जरूरी है।
साध्वीश्री ने कहा कि वीतराग वाणी को समझने के लिए बुद्धि की आवश्यकता है। शास्त्रों में चार प्रकार की बुद्धि बताई है। औत्पातिक बुद्धि यानि हाजिर जवाबी, विनेयिक -विनय से, कार्मिक बुद्धि यानि कार्य में कुशलता दिखाना और पारिणायिकी यानि अनुभव के साथ उपयोग की गई बुद्धिं। हमें अपनी बुद्धि का उपयोग आत्मा की शुद्धि के लिए करना है। सद्बुद्धि ही सद्गुणों को प्रकट कर सकती है। हमें अपनी बुद्धि का उपयोग आत्मा की शुद्धि के लिए करना है। बुद्धि होने पर कभी अहंकार नहीं करना, बुद्धि का उपयोग कभी भी गलत कार्य व व्यवहार के लिए नहीं करना चाहिए। अभिमान व असत्य हमारे कटु शत्रु है। परमात्मा का स्मरण व स्पर्श सद््भाग्य, गुरु का स्मरण व वंदन अहो भाग्य और सद् बुद्धि का सही उपयोग व स्पर्श महाभाग्य है।