Sunday, December 22, 2024
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वास्तुनुसार बनी सीढियां बना सकती है सफलता का सोपान

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वास्तु शास्‍त्र में किसी भी आवास के अंदर हवा, घर में रहने वाले लोगों और ऊर्जा संचरण को बेहद खास माना जाता है। घर में सीढ़ियां ही ऊपर और नीचे जाने का जरिया होती हैं, जो ऊर्जा के प्रवाह का प्रमुख स्रोत हैं। घर में सीढ़ियां ही ऊर्जा स्तरों में वृद्धि और कमी का प्रतीक होती हैं। यदि घर में सीढ़ियों को सही तरीके से डिजाइन करके उचित दिशा में रखा जाता है तो यह सकारात्मक ऊर्जा के सहज प्रवाह में बढ़ोतरी होती है, लेकिन यदि इनका स्थान या डिजाइन सही नहीं है तो जीवन में कई तरह की परेशानियां पैदा हो सकती है। इसलिए घर की सीढ़ियों का सही दिशा में होना बेहद ज़रूरी है।

भवन के दक्षिण-पश्चिम यानि कि नैऋत्य कोण में पृथ्वी तत्व की प्रधानता होती है अतः यहाँ सीढ़ियां बनाने से इस दिशा का भार बढ़ जाता है जो वास्तु की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिशा में सीढ़ियों का निर्माण सर्वश्रेष्ठ माना गया है इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है एवं स्वास्थ्य अच्छा रहता है। क्योंकि- नैऋत्ये वास्तुदोषेण धनक्षयः प्रजायते। नैऋत्य दिशा में वास्तुदोष होने से धन की हानि होती है। दक्षिण में बनी सीढ़ियां निवासियों के लिए प्रसिद्धि और यश का कारण बनती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की सीढ़ियों के लिए पश्चिम, नैऋत्य, मध्य दक्षिण, वायव्य कोण शुभ माना जाता हैं। इन दिशाओं में सीढ़ियों का निर्माण कराना उत्तम होता है। “दक्षिणे वा पश्चिमे सोपानं कुर्यात्।” अर्थात्: दक्षिण या पश्चिम दिशा में सीढ़ियां बनानी चाहिए। वास्तुनुसार बनी सीढ़ियों से निकलने वाली एनर्जी इतनी शक्तिशाली होती है कि यह सफलता के रास्ते को काफी हद तक प्रभावित करती हैं। इससे घर में खुशहाली आती है और सभी तरह के दोष भी दूर होते हैं।

ध्यान देने योग्य बात है कि घर का मध्य भाग यानि कि ब्रह्म स्थान अति संवेदनशील क्षेत्र माना गया है अतः भूलकर भी यहाँ सीढ़ियों का निर्माण नहीं कराएं अन्यथा वहाँ रहने वालों को विभिन्न प्रकार की दिक्क़तों का सामना करना पड़ सकता है । ईशान कोण की बात करें तो इस दिशा को तो वास्तु में हल्का और खुला रखने की बात कही गई है क्योंकि वास्तुपुरुष का सिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्थित है। ईशान कोणे वास्तुपुरुषस्य शिरः स्थितम्। इसलिए वास्तुशास्त्र में ईशान कोण में सीढ़ियां बनवाना वर्जित माना गया है। वास्तु विजिट की केस स्टडी से यह अनुभव किया गया है ऐसा करने से पेशेगत दिक्कतें, धनहानि या क़र्ज़ में डूबने जैसी समस्याएं सामने आती हैं एवं बच्चों का कॅरिअर बाधित होता है।

किसी भी भवन में सीढ़ियों के निर्माण के समय यह ध्यान में रखना जरूरी है कि चढ़ते समय मुख पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा की ओर हो और उतरते वक्त चेहरा उत्तर या पूर्व की ओर हो।वास्तु शास्त्र के मुताबिक, दक्षिण मुखी घर में सीढ़ियां इन दिशाओं में होनी चाहिए। ये दिशाएं दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, आग्नेय, पश्चिम, उत्तर-पश्चिम में होना चाहिए। बिजली और अग्नि से संबंधित कोई भी सामान जैसे इन्वर्टर, जनरेटर, वाटर कूलर, ए.सी. मोटर, मिक्सी, मसाला या आटा पीसने की घरेलू चक्की आदि सीढ़ियों के नीचे रखना वास्तु दोष है।

सीढ़ियों के नीचे किचन, पूजा घर, शौचालय, स्टोर रूम नहीं होना चाहिए अन्यथा ऐसा करने से वहाँ निवास करने वालों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सीढ़ियों के नीचे का स्थान खुला ही रहना चाहिए ऐसा करने से घर के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलती है। इसके अलावा सीढ़ियों के नीचे किचन, बाथरूम, शू स्टैंड आदि नहीं होना चाहिए। इससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न होते हैं, जिससे जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जहाँ तक हो सके गोलाकार सीढ़ियां नहीं बनवानी चाहिए। चौकोर या आयताकार आकार की सीढ़ियां अच्छी मानी जाती है। यदि आवश्यक हो तो, निर्माण इस प्रकार हो कि चढ़ते समय व्यक्ति दाहिनी तरफ मुड़ता हुआ जाए।

वास्तु के अनुसार, पूर्व मुखी घर में सीढ़ियां दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण, या पश्चिम दिशा में बनवानी चाहिए। अगर इन दिशाओं में जगह न हो, तो आप घर की पूर्व दिशा में भी सीढ़ियां बनवा सकते हैं। दक्षिण मुखी घर में सीढ़ियां दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, आग्नेय, पश्चिम, उत्तर-पश्चिम में होनी चाहिए। पश्चिम मुखी घर में सीढ़ियां बनाने के लिए दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम, नैर्ऋत्य, मध्य दक्षिण, वायव्य में होनी चाहिए। वास्तु के मुताबिक, उत्तर मुखी घर में सीढ़ियां उत्तर दिशा में नहीं होनी चाहिए। ऐसा करने से बाधाएं पैदा हो सकती हैं। सीढ़ियां बनाने के लिए उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए। वास्तु के मुताबिक सीढ़ियां हमेशा घड़ी की सुईं की दिशा में घूमनी चाहिए। सीढ़ियां कभी भी घर के बीच में नहीं होनी चाहिए। सीढियां विषम संख्या में होनी चाहिए। सीढ़ियों के शुरू या अंत में रसोई, स्टोर रूम या पूजा कक्ष नहीं होना चाहिए। यदि घर की सीढ़ियाँ वास्तु के अनुसार नहीं है तो सीढ़ियों की दीवार पर रोली से स्वस्तिक चिन्ह बनाना चाहिए। सीढ़ियों के पास तुलसी का पौधा रखने से भी वास्तु दोष दूर होते हैं। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

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