बीकानेर Abhayindia.com जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित सांचू सीमा चौकी (बॉर्डर) का भ्रमण आम आदमी भी कर सकता है। इसके लिए भारत सरकार के निर्देश पर सीमा सुरक्षा बल ने “सीमा दर्शन” के नाम से इस चौकी को आम लोगों के लिए खोला है। बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ ने “अभय इंडिया“ के साथ खास बातचीत में इस चौकी ऐतिहासिक महत्व से भी अवगत कराया। साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह से अब आम आदमी वहां तक पहुंचकर सीमा पर तैनात जांबाज बीएसएफ के जज्बे को करीब से महसूस कर सकता है।
डीआईजी राठौड़ ने बताया सीमा पर 24 घंटे बीएसएफ के जवान पूरी मुस्तैदी के साथ सुरक्षा कवच बनकर खड़े हैं। सांचू में पयर्टन विकसित करने के उद्देश्य से तैयार किए गए टावर पर जाकर आसानी से पड़ौसी मुल्क की सीमा को देखा जा सकता है। राठौड़ ने बताया कि आम जन सांचू तक जाने के लिए पूगल, बज्जू, रणजीपुरा सहित विभिन्न रास्तों से पहुंचा जा सकता है। वहां एक गैलेरी है, जहां पर दुश्मन देश से युद्ध में जीतकर लाए गए हथियार, ऐतिहासिक फोटो रोमांचित करते हैं।
चट्टान की तरह कोबरा फैंसिंग…
डीआईजी के अनुसार सीमा पर लगाई लोह की फैंसिंग को ओर अधिक मजबूत और सुरक्षित किया गया है। वर्तमान में इस फैंसिंग (तारबंदी) में विशेष तरह का कोबरा वायर लगाया है, ताकि कोई भी घुसपेठ नहीं कर सके। राठौड़ ने बताया कि अभी सर्दी का मौसम होने के कारण सीमा पर तैनात जवान अत्यधिक सतर्क रहते हैं, रात को पैट्रोलिंग की जा रही है।
दुश्मनों के कब्जे से छुड़ाया था…
डीआईजी राठौड़ के अनुसार यह सांचू सीमा चौकी सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सन् 1965 के भारत–पाक युद्ध से पूर्व बीकानेर जिले की बॉर्डर बेल्ट में यह सबसे बड़ा गांव था। उस समय इस गांव की आबादी 500 से ज्यादा थी। आरएससी की चौकियां 25 किमी पीछे बरसलपुर – रणजीतपुरा गांव में थी। वहीं से आरएससी के जवान ऊंटों पर सफर करते हुए, आते एवं कुछ दिन पड़ाव करके वापस चले जाते थे। 1965 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना और पाक रेंजर्स ने खाली देखकर इस जमीन पर कब्जा कर लिया, पता चलने पर 3 आरएसी और 13 ग्रेनेडियर के जांबाज जवानों ने मिलकर श्यामसुन्दर सिंह राठौड़, जो आरएसी की यहां तैनात कम्पनी के कम्पनी कमाण्डर थे, उनके कुशल नेतृत्व में हमला किया भीषण युद्ध हुआ और आखिर में पाकिस्तानी सैनिक भाग खड़े हुए। इस शानदार जीत की याद मे 3 आरएससी (वर्तमान 12 सीसु बल) विजयोत्सव मनाती है, जिसे ‘सांच दिवस के नाम से जाना जाता है और इसी दिन इस सांचू सीमा चौकी की भी स्थापना हुई। इस शानदार जीत के नायक श्यामसुन्दर सिंह राठौड़ 1988 में सीमा सुरक्षा बल में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं देने के उपरान उप कमांडेट पद से सेवानिवृत्त हुए।
कब्जे में लिया पाक पोस्ट…
बीएसएफ के अनुसार सन् 1971 के भारत–पाक युद्ध में भी 12 सीमा सुरक्षा बल और 13 ग्रेनेडियर में मिलकर पाक पोस्ट रनिहाल पर हमला करके अपने कब्जे में लिया था। पाक पोस्ट रनिहाल का भी सामरिक दृष्टि से काफी महत्व है क्योंकि पाकिस्तान के सीमावर्ती 130 किमी इलाके में रनिहाल एवं सांचू के अलावा कहीं भी मीठा पानी नहीं है सभी स्थानों पर खारा पानी है। इसलिए पाकिस्तान रनिहाल पोस्ट को काफी महत्व देता है।