बीकानेर (सुरेश बोड़ा)। बीकानेर में कोरोना मरीजों को लगाए जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच अब धीरे-धीरे गति पकड़ रही है। इस बीच, आरोपों से घिरे कई नामचीन चेहरे खुद की खाल बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। खबर यह भी है कि ये कई प्रभावशाली नेताओं की चौखटें भी चूमने से गुरेज नहीं कर रहे हैं, लेकिन अभी इन्हें कहीं भी बचाव के आश्वासन मिलते नजर नहीं आ रहे। एसओजी के निरीक्षक भूराराम खिलेरी की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में तथ्यों की मजबूती के चलते प्रभावशाली लोग भी कालाबाजारी करने वालों से किनारा लेने की कोशिश कर रहे हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक, कालाबाजारी करने वालों की कारगुजारियों की तह तक जाने के लिए जांच एजेंसी उनके ठिकानों के फुटेज के अलावा अन्य तकनीकी साधनों का भी इस्तेमाल कर सकती है। इसी के चलते कालाबाजारी करने वालों में जोरदार हड़कंप मचा हुआ है। कमोबेश ऐसा ही हड़कंप इनसे चोरी के रास्ते रेमडेसिविर हथियाने वालों में भी मचा है।
इस मामले की जांच कर रही एसओजी की एएसपी दिव्या मित्तल ने अभय इंडिया को बातचीत में बताया कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी से संबंधित जरूरी तथ्य टीम ने पहले ही जुटा लिए थे। इसके अलावा इससे संबंधित अन्य पहलुओं की भी गहनता से जांच की जा रही है। अभी जांच मिले दो दिन हुए है। जैसे-जैसे जांच होगी, मामले से संबंधित खुलासे कर दिए जाएंगे।
आपको बता दें कि एसओजी की शुरूआती जांच के मुताबिक, सहायक ड्रग कंट्रोलर ने बीकानेर और बीकानेर से बाहर 890 इंजेक्शन की सप्लाई का रिकॉर्ड दिया। जबकि, छह अधिकृत स्टॉकिस्ट ने 1400 इंजेक्शन सप्लाई किए। दोनों के रिकॉर्ड में 510 इंजेक्शन की गड़बड़ियां सामने आई है। एसओजी की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीराम हॉस्पिटल, पीटी कृष्णा हॉस्पिटल के अलावा डॉ. अशोक गुप्ता, जे. के. पुरोहित, अजय गुप्ता, एमजी चौधरी, श्रेया जैन, अमित, गोपाल, विजय शांति बांठिया, दयाल शर्मा अधिकृत नहीं थे, इसके बावजूद इन्हें इंजेक्शन दिए गए। बीकानेर की जीवन रक्षा अस्पताल कोविड-19 के लिए हालांकि अधिकृत अस्पताल है। लेकिन, स्टॉकिस्ट ने अस्पताल के डॉक्टर धनपत डागा और विकास पारीक के नाम पर अलग से इंजेक्शन दिए।
बीकानेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड पर स्टॉकिस्ट ने जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुनूं, भिवानी, कोलकाता सहित अनेक जगह भेजे। इसी तरह एसडीएमएच हॉस्पिटल जयपुर, महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल जयपुर ने कहा कि ना तो स्टॉकिस्ट को मांग पत्र भेजा और न ही इंजेक्शन मिले। झुंझुनूं के आरआर हॉस्पिटल ने दो इंजेक्शन मिलना बताया, जबकि स्टॉकिस्ट ने चार बताए। स्टॉकिस्ट ने वरदान हॉस्पिटल को 15 इंजेक्शन देना बताया, जबकि हॉस्पिटल ने साफ इंकार कर दिया। एमएन अस्पताल को भी सात इंजेक्शन देना बताया, जबकि अस्पताल ने इंकार किया।
रेमडेसिविर इंजेक्शन के ये 6 स्टॉकिस्ट हैं अधिकृत
मित्तल ड्रग एजेंसी, मित्तल फार्मा, जिंदल मेडिकोज, राजेन्द्र मेडिकोज, तंवर मेडिकोज, मित्तल फार्मा, गौरव एजेंसी।
एसओजी यह मामला धारा 420, 465, 468, 471,120बी आईपीसी, धारा 3, 7 आवश्यक वस्तु अधिनियम, 18 (a)(vi), 18 (b), 18 (c), औषधि प्रसाधन अधिनियम के तहत दर्ज कर जांच कर रही है।
गहलोत सरकार ऑक्सीजन के मामले में निजी अस्पतालों को बनाएगी “आत्मनिर्भर”, मंत्री ने कहा…
रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले में डीटीएम अस्पताल के निदेशक डॉ. मालावत ने रखा अपना ये पक्ष….
बीकानेर : अस्पताल में धूल फांक रहे थे वेंटिलेटर्स, अब जाकर हुए दुरुस्त, एमपी अर्जुनराम ने कहा…
बीकानेर : ऑक्सीजन कालाबाजारी मामले में तीन को भेजा जेल, मुख्य आरोपी तीन दिन के रिमांड पर…